बंद हो सनातन धर्म संस्कृति का अपमान: महंत ज्ञानदास

फिल्मी कलाकारों की रामलीला पर भड़के धर्माचार्य,कहा आस्था को चोट न पहुंचाए सरकार

अयोध्या। रामनगरी में 6 अक्टूबर से शुरू होने वाली फिल्मी कलाकारों की रामलीला का अयोध्या के धर्माचार्यों ने जोरदार विरोध किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष व हनुमानगढ़ी के शीर्ष महंत ज्ञानदास जी महाराज इस रामलीला को सनातन धर्म संस्कृति का अपमान बता इसे बंद करने की मांग की है। उन्होंने फिल्मी कलाकारों को रामायण के पात्रों की भाषा वेशभूषा आदि की जानकारी न होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राचीन मूल्यों वाली रामलीला को ही समृद्ध करे। महंत ज्ञानदास ने कहा कि सरकार से उनका अनुरोध है कि अयोध्या की बेहतर रामलीला मंडली से रामलीला का मंचन कराया जाये जिससे लोगों की आस्था को चोट न पहुंचे।

दिगंबर अखाडा के मंहत सुरेश दास ने कहा कि अयोध्या में फिल्मी सितारों की रामलीला कर उसका मजाक न बनाया जाय। उन्होंने कहा कि फिल्मी कलाकारों की रामलीला व्यवसाय और मनोरंजन के लिए बेहतर हो सकती है पर संतों व भक्तों में उस रामलीला के मंचन को लेकर बहुत आक्रोश है। उन्होंने मुख्यमंत्री से संतों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फिल्मी कलाकारों की रामलीला का मंचन बंद कराने की मांग की है।हनुमानगढ़ी के शीर्ष महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी

संकटमोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत संजय दास ने कहा कि पारंपरिक रामलीला मंडली के पात्र रामायण संस्कृति की गहन जानकारी रखते हैं। अयोध्या में फिल्मी कलाकारों की रामलीला मजाक बनकर रह गई है। अयोध्या की जो मंडली रामलीला करवाती है उसके पात्र बहुत ही आस्थावान होते हैं और वो भगवान के प्रति समर्पित होकर कार्य करते हैं।

रसिक पीठाधीश्वर जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण महंत अवधेश दास महंत दिलीप दास त्यागी हनुमानगढ़ी के पुजारी हेमंत दास सहित बड़ी संख्या में सन्तों ने फिल्मी रामलीला का विरोध विरोध किया है। संतो ने कहा है कि बीते वर्ष अयोध्या में हुई वचुर्वल फिल्मी कलाकारों की रामलीला से देश में गलत संदेश गया है। इसलिए इस बार ऐसी रामलीला का आयोजन नहीं होने दिया जायेगा।

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