साढ़े चार साल में कुछ ऐसी रही बसपा, जाने कितनी रह गई विधायकों की संख्या
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता पर काबिज होने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पास वैसे तो राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा है, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में जिस तरह से ‘हाथी की चाल’ रही है, वह पार्टी प्रमुख मायावती (Mayawati) के लिए निसंदेह चिंता का विषय है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किसी क्षेत्रीय दल की तरह महज 19 सीटें जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी की यूपी विधानसभा में संख्या बल अनुप्रिया पटेल की अपना दल (Apna Dal) से भी कम और कांग्रेस (Congress) के बराबर हो गई है. इतना ही नहीं सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि दो अन्य विधायक भी किसी अन्य दल में अपना सियासी भविष्य तलाशने में जुटे हैं.
दरअसल, वर्ष 2012 में यूपी की सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही पार्टी के लिए समय अच्छा नहीं रहा. पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रदेश में एक भी सीट नहीं जीत सकी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी की स्थिति किसी क्षेत्रीय दल जैसी हो गई. पार्टी के महज 19 प्रत्याशी ही जीत दर्ज कर सके. उपचुनाव में एक सीट और गंवाने के बाद बसपा सदस्यों की संख्या 18 पर सिमट कर रह गई. समस्या यहीं समाप्त नहीं हुई. बसपा प्रमुख मायावती की कार्यशैली और राजनैतिक फैसलों की वजह से एक-एक कर के पुराने नेता पार्टी से दूर होते गए. किसी ने खुद पार्टी से किनारा कर लिया तो किसी को अनुशासनहीनता के आरोप में निकाल दिया गया. आलम यह है कि अब तक 11 विधायक पार्टी से बगावत कर चुके हैं या फिर निकाले जा चुके हैं. इनमें बसपा संस्थापक के समय से पार्टी का झंडा उठाने और संघर्ष करने वाले पार्टी के पिछड़ा चेहरा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर और विधानमंडल दल के निवर्तमान नेता लालजी वर्मा भी शामिल हैं.
ये है वर्तमान स्थिति
अब अगर आधिकारिक तौर पर देखें तो बसपा के पास 16 विधायक (राम अचल राजभर और लालजी वर्मा का पार्टी से निकाला गया है) हैं. विधान परिषद चुनाव में 9 विधायकों ने बगावत करते हुए सपा को वोट किया था. वे भी समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं और दूसरे दलों से टिकट का जुगाड़ कर रहे हैं. इन्हें भी अगर पार्टी से अलग मान लिया जाए तो बसपा के पास विधायकों की संख्या महज 7 है, जो कि अपना दल के 9 से कम और कांग्रेस के 7 विधायक के बराबर है.
अब ये ही पार्टी के साथ
पूर्वांचल के छह और पश्चिम यूपी के एक विधायक ही अब बसपा के साथ हैं. इनके नाम हैं, आजाद अरिमर्दन (आजमगढ़), उमाशंकर सिंह (बलिया), मुख्तार अंसारी (मऊ), विनय शंकर तिवारी (गोरखपुर), शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (आजमगढ़), सुखदेव राजभर (आजमगढ़) और श्याम सुंदर शर्मा (मथुरा). सूत्रों की मानें तो इनमें से भी दो अन्य पार्टी से टिकट की तलाश में हैं. ऐसी स्थिति में आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा के लिए चुनौती बहुत बड़ी है.