चाचा को मनाने पहुंचे चिराग, 20 मिनट बाद मिली एंट्री लेकिन घर में नहीं हैं पशुपति
दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में दो-फाड़ हो गई है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने पांच सांसदों को साथ लेकर अब पार्टी पर अपना अधिकार जता दिया है, वहीं चिराग पासवान अब अलग-थलग हो गए हैं.
बिहार की राजनीति में बीते दिन अचानक ही नया मोड़ सामने आ गया. लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हो गई, इसी मसले पर सोमवार को पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पशुपति पारस ने कहा कि हमारे भाई चले गए, हम अकेले महसूस कर रहे हैं.
इस बीच खबर है कि चाचा पशुपति पारस को मनाने के लिए चिराग पासवान उनके घर पहुंचे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चिराग पासवान चाचा पारस के घर के बाहर 15 मिनट तक खड़े रहे तब जाकर उनके लिए दरवाजा खुला. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 12 जनपथ से चिराग पासवान अपने चाचा के घर पर पहुंचे.
चिराग पासवान चाचा पशुपति पारस के घर के बाहर कार में बैठे बार बार कार का हॉर्न बजाते रहे, ताकि घर का दरवाजा खुले, लेकिन उनके चाचा के घर का दरवाजा 20 मिनट तक नहीं खुला. चिराग बार बार हॉर्न बजाते रहे, लेकिन घर का दरवाजा नहीं खुला.
काफी देर बाद उनके चाचा के घर का दरवाजा खुला, लेकिन जानकारी मिली कि उनके चाचा पशुपति पारस घर पर मौजूद नहीं थे. अभी घर में चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज ही मौजूद हैं. चिराग अभी उन्हें से मुलाकात कर रहे हैं.
पार्टी तोड़ी नहीं, बचाई है-पारस
इससे पहले पशुपति पारस ने कहा कि पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गया, तब सभी लोगों की इच्छा थी 2014 में और इस बार भी हम एनडीए के साथ बने रहें. लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी, असमाजिक तत्व आ रहे थे, एनडीए से गठबंधन को तोड़ दिया और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी गई.
पशुपति पारस ने बताया कि हमारी पार्टी के पांच सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी को बचाना जरूरी है. मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, पार्टी को बचाया है. जबतक मैं जिंदा हूं, पार्टी को जिंदा रखेंगे. मुझे चिराग पासवान से कोई दिक्कत नहीं है, अभी भी ओरिजनल पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ही है. चिराग अभी तक पार्टी के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वह हमारे साथ आना चाहें तो आ सकते हैं.
जनता दल (यू) के साथ जाने की बातों पर पशुपति पारस ने कहा कि मैं शुरुआत से एनडीए के साथ रहा हूं, हम एनडीए के साथ रहेंगे. पशुपति पारस ने कहा कि वह नीतीश कुमार को एक अच्छा लीडर मानते हैं, वह विकास पुरुष हैं.
आपको बता दें कि पशुपति पारस द्वारा बीते दिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिख पांचों सांसदों को अलग मान्यता देने की मांग की गई, साथ ही खुद को पार्टी लीडर बताया गया. पशुपति पारस का कहना है कि वह स्पीकर के जवाब का इंतजार कर रहे हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि, विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कोई खास प्रदर्शन नहीं किया, ऐसे में अब लंबे वक्त के बाद पशुपति पारस बड़ी भूमिका में नज़र आ रहे हैं.