CAIT का ऐलान – देश भर के व्यापारी 14 जून से ई-कॉमर्स शुद्धीकरण सप्ताह मनाएंगे
नई दिल्ली. अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद कनफेडेरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने रविवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में उनसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह अविलं अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करे. कैट ने पीयूष गोयल से यह भी आग्रह किया है कि एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 की जगह बहुप्रतीक्षित एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए. वही सरकार के कानून, नियम और नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए एक मॉनिटरिंग तंत्र भी बनाया जाए. ताकि कोई भी किसी भी नीति का उल्लंघन करने की हिम्मत न करे. कैट ने गोयल से यह भी आग्रह किया है की ई-कॉमर्स व्यापार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए हर उस प्रकार के ई कॉमर्स व्यापार जो किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है, को वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआइआइटी विभाग से अनिवार्य रूप से अपना पंजीकरण कराने का आदेश दिया जाए है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि देश भर के व्यापारी 14 जून से 21 जून तक ‘ई-कॉमर्स शुद्धीकरण सप्ताह’ के रूप में मनाएंगे. इसके तहत देश के हजारों व्यापारी संगठन 16 जून को अपने-अपने जिला कलेक्टरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से एक ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें केंद्र सरकार से अमेजन, फ्लिपकार्ट और अन्य विदेशी फंड प्राप्त अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा नीति और नियमों के निरंतर उल्लंघन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की जाएगी. इसी सप्ताह के दौरान व्यापारियों का प्रतिनिधिमंडल अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से मिल कर उनसे मांग करेगा कि छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स कंपनियों की किसी भी दमनकारी नीति का सामना न करना पड़े, ऐसी व्यवस्था की जाए. ई-कॉमर्स कंपनियों के हमले से कारोबारी समुदाय को बचाने के लिए देश भर के व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को ई मेल से ज्ञापन भेजेंगे.
भरतिया और खंडेलवाल ने खेद व्यक्त किया कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने पीयूष गोयल द्वारा बार-बार दिए गए निर्देशो को सुन कर भी अनसुना किया है और एफडीआई नीति के अनिवार्य प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर अनैतिक और अवैध गतिविधियों में ये कंपनियां निरंतर लिप्त रही हैं. कैट ने आग्रह किया है कि संबंधित अधिकारियों को एक समान स्तर का व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाए रखने के लिए तत्काल कदम उठाने का सख्त निर्देश जारी किया जाए.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि पूंजी डंपिंग के खेल ने देश की उद्यमशीलता कौशल और मानव पूंजी को खत्म कर दिया है, जो एक संज्ञेय अपराध है. किसी भी देश की मानव पूंजी को बेकार कर देना, उन्हें उनके व्यवसायों से विस्थापित करना और इन पूंजीपतियों द्वारा उनकी आजीविका का अतिक्रमण करना निश्चित रूप से ये वो “भारत” नहीं है जिसका सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा है. यह नीति भारत के लोगों की “आत्मनिर्भर भारत” की भावना को मार रही है. भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि ये कंपनियां न केवल ई-कॉमर्स बल्कि खुदरा व्यापार के पूरे परिदृश्य को नियंत्रित करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के दूसरे संस्करण के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं. भारत के खुदरा व्यापार में 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर वर्ष भर में लगभग 115 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं, जिसको इन कंपनियों ने बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है.