‘चौकड़ी’ के टूटने से राहुल गांधी की बढ़ी टेंशन, पढ़ें पूरी कहानी
जयपुर. युवा कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने भाजपा का दामन थाम लिया है. यह न सिर्फ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बल्कि अपने वजूद को बचाने में जुटी कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है. मजेदार बात ये है कि जितिन प्रसाद का परिवार तीन दशक से खांटी कांग्रेसी था, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव की आहट के साथ उन्होंने कमल थाम लिया है. इसके साथ राहुल गांधी की सबसे भरोसेमंद चौकड़ी में एक बार फिर भाजपा ने सेंध लगा दी है. दरअसल, कांग्रेस में चार युवा नेता सालों से राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे, लेकिन अब उनमें से दो ने ‘हाथ’ छोड़कर कमल थाम लिया है. हैरानी की बात ये है कि बाकी बचे दो युवा नेता भी कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं, जिनकी राहुल गांधी के अध्यक्ष कार्यकाल में खूब चर्चा हुआ करती थी.
बता दें कि जब राहुल गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान थी तब ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा की पार्टी में खूब तूती बोलती थी. यही नहीं, यह चारों भरोसेमंद होने के अलावा आने वाले समय के कांग्रेस के ‘खेवनहार’ भी माने जाते थे, लेकिन दिनों दिन मजबूत होती जारी रही भाजपा ने सिंधिया और जितिन प्रसाद को अपने पाले में लाकर कांग्रेस और राहुल गांधी की चुनौतियां बढ़ा दी हैं.
मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की अनदेखी की वजह से भाजपा का साथ थामा, तो कई सालों की मशक्कत के बाद सूबे की सत्ता हासिल करने वाली कांग्रसे टूट गई. यही नहीं, पांच साल सरकार चलाने का दावा करने वाले कमलनाथ की कुर्सी जाने के बाद एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को सत्ता मिल गई. अगर यूपी की बात करें तो अभी तक कांग्रेस को सूबे में जिन्दा करने की कवायद में जुटे जितिन प्रसाद उस बीजेपी खेमे में खड़े हो गये हैं, जिसने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखा है. प्रसाद यूपी की ब्राह्मण राजनीति के खेवनहार माने जाते रहे हैं और पिछले एक साल से उन्होंने ब्राह्मणों को गोलबन्द करने के लिए कड़ी मशक्कत की है, जिसका असर भी देखने को मिला है. यकीनन वह यूपी में ब्राह्मण राजनीति के गिने चुने और दमदार चेहरों में शामिल हैं.
राहुल गांधी की युवा टीम को लेकर जब भी चर्चा होती थी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा का जिक्र जरूर आता था. यही नहीं, संसद के भीतर और बाहर भी ये चारों साथ देखे जाते थे, लेकिन अब इसमें से दो ने पाला बदल लिया है. जबकि सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा भी नाराज हैं. सचिन पायलट की नाराजगी के कारण पिछले साल राजस्थान में भूचाल आ गया था. हालांकि गांधी परिवार की कड़ी मशक्कत के बाद पायलट माने और गहलोत सरकार बच गई. वैसे अभी भी लगता है कि सचिन और गहलोत का झगड़ा खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि आये दिन बवाल होता रहता है. वहीं, बेबाक सचिन पायलट बार-बार अलग-अलग तरीके से अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे
वहीं, राहुल गांधी की चौकड़ी में गिने जाने वाले 44 वर्षीय मिलिंद देवड़ा भी तमतमाए दिख रहे हैं. इसकी वजह उनके पिछले कुछ बयान हैं. भारत-चीन मसले पर राहुल गांधी के रुख पर सवाल उठाना, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपीके साथ गठबंधन की सरकार पर बयान, पीएम मोदी की तारीफ और कांग्रेस के तौरतरीकों में बदलाव के लिए तमाम नेताओं ने साथ सोनिया को चिट्ठी लिखना जैसी बातें शामिल हैं. यही नहीं, हाल में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी तारीफ की है. दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से पिछले एक साल से गुजरात में होटल इंडस्ट्री, रेस्टोरेंट, रिजॉर्ट और वॉटर पार्क बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इसी वजह से मुख्यमंत्री ने देवड़ा का पिछले एक साल का प्रॉपर्टी टैक्स और बिजली बिल माफ करने का आदेश दे दिया है.
बहरहाल, नये अध्यक्ष की कवायद में जुटी कांग्रेस के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा की नाराजगी भारी पड़ सकती है. इसे चुनौती से गांधी परिवार खासकर राहुल कैसे निपटते हैं, ये देखने वाली बात होगी.