क्या China अपने सैनिकों को ज्यादा मजबूत और क्रूर बनाने के लिए कर रहा है ये बदलाव ?
कोरोना वायरस के कहर के लिए बड़ा वैज्ञानिक तबका चीन पर संदेह कर रहा है. इंटरनेशनल मीडिया में ये भी कहा जा रहा है कि चीन खुफिया तरीके से चूहों समेत कई जंतुओं के DNA में बदलाव कर उनपर खतरनाक प्रयोग कर रहा है. वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक चीन केवल जीव-जंतुओं ही नहीं, बल्कि इंसानों में भी जेनेटिक बदलाव ला रहा है. सैनिकों को ज्यादा क्रूर और ताकतवर बनाने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग हो रही है.
इंटेलिजेंस अधिकारी ने दी जानकारी
अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस के पूर्व डायरेक्टर जॉन रेटक्लिफ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि चीन सैनिकों को सुपर सोल्जर बनाने की तैयारी में है. वॉल स्ट्रीट जर्नल में अपने एक लेख के जरिए रेटक्लिफ ने ये जानकारी देते हुए चीन को अमेरिका समेत पूरी दुनिया पर सबसे बड़ा खतरा बताया.
साल 2019 में दो अमेरिकी शोधार्थियों ने भी चीन के इस इरादे की बात की थी, जिनकी रिपोर्ट द जेम्सटाउन फाउंडेशन में छपी थी. China’s Military Biotech Frontier शीर्षक से इस स्टडी में आया था कि कैसे चीन अपने सैनिकों के DNA से छेड़छाड़ कर रहा है.
जिस प्रक्रिया से चीन सैनिकों के बायोलॉजिकल छेड़छाड़ कर रहा है, उसे क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पेलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR) के नाम से जाना जाता है. ये असल में एक डीएनए स्ट्रक्चर है, जो बैक्टीरिया आदि में होता है. अब तक इसका इस्तेमाल बीमारियों से बचाव के लिए होता था. साथ ही फसलों की ज्यादा उन्नत किस्म तैयार करने में भी इस तकनीक का उपयोग होता है. इससे संकर नस्लें पैदा होती हैं, जो बेहतर फसल देती हैं.
जीन एडिटिंग की तकनीक के बारे में पहले से वैज्ञानिकों को डर रहा था कि आगे चलकर कोई देश इंसानों पर भी ये प्रयोग कर सकता है. यही डर चीन के मामले में सच साबित होता दिख रहा है. वो सैनिकों को बेहतर सैनिक बनाने के लिए उनके डीएनए में बदलाव करने जा रहा है.
कपल्स पर हो चुका प्रयोग
चीनी वैज्ञानिक He Jiankui का नाम इस मामले में सामने आया है. इस वैज्ञानिक ने साल 2018 में ही सात जोड़ों के साथ ये जैविक प्रयोग किया था. इसके नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. लेकिन अंदेशा जताया जा रहा है कि डीएनए में मिलावट से तैयार शख्स पूरी तरह से सेना के लिए काम का होगा. उसका दिमाग हमेशा आक्रामक तरीके से सोचेगा और शरीर भी उसी तरह का होगा.
कैसे काम करती है टेक्नीक
जीन ए़डिटिंग की ये तकनीक वैसी ही है, जैसे पशुओं को मिलाकर नया पशु तैयार करना. चूंकि चीन ये जैविक बदलाव सेना के लिए काम आने वाले लोगों में कर रहा है, लिहाजा उनमें डीएनए में वैसी ही छेड़छाड़ होगी, जो सैनिक की खूबियां हो सकें. जैसे उनमें दया या संवेदनशीलता नाम की चीजें नहीं होंगी. ऐसे में युद्ध के हालातों में वे काफी क्रूर हो जाएंगे और लोगों को बेरहमी से मारेंगे.
खुफिया दस्तावेजों से खुला भेद
हालांकि चीन ने इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है लेकिन उसके आंतरिक दस्तावेजों से कई बात इसकी झलक मिली. CRISPR-Cas तकनीक के बारे में चीनी रक्षा विभाग का एक दस्तावेज गलती से मीडिया में आ गया. इसमें चीन ने खुद माना था कि वे साल 2016 से जीन-एडिटिंग पर काम कर रहे हैं ताकि सैनिकों की ताकत बढ़ जाए.
सैनिक भी हैं बदलाव से बेखबर
कुल मिलाकर देश के लिए काम करते चीनी सैनिकों तक को इसकी खबर नहीं कि उनके शरीर को केवल सेना के काम आने लायक बनाया जा रहा है. वैज्ञानिक जर्नल नेचर बायोटेक्नोलॉजी (Nature Biotechnology) में इस बारे में बेहद खौफनाक रिपोर्ट आ चुकी.
गंभीर बीमारियों का खतरा
जेनेटिक बदलाव से जल्द ही सैनिकों के शरीर में दूसरे खतरनाक बदलाव भी दिखेंगे. जैसे डीएनए बदलते हुए ऐसी जीन डिलीट कर दी जाए, जिसका होना जरूरी है तो शरीर में कई गंभीर बीमारियां घर करेंगी. कैंसर से लेकर ऐसी बीमारियां भी हो सकती हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों को कोई अंदाजा तक नहीं.
सैनिकों पर काफी दबाव है
पीएलए में जेनेटिक छेड़छाड़ की ये खबरें अब ज्यादा सुर्खियों में हैं, जबकि ये भी कहा जा रहा है कि चीन के सैनिकों पर ज्यादा आक्रामक और हमेशा तैयार रहने का दबाव बना हुआ है. ध्यान दें कि चीन लगभग सारे पड़ोसी और यहां तक कि दूर-दराज के देशों से भी किसी न किसी विवाद में उलझा हुआ है. वो अमेरिका को पछाड़कर सुपर-पावर का ओहदा लेने के लिए लगातार अपना विस्तार चाह रहा है. इससे चीनी सैनिकों पर काम का काफी दबाव है और वे मनोवैज्ञानिक तौर पर थक रहे हैं.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में इस हवाले की एक रपट में बताया गया कि कैसे लगातार तनाव का असर चीनी सैनिकों की सेहत पर हुआ. शंघाई के नौसैनिक चिकित्सकीय विश्वविद्यालय ने 580 नौसैनिकों पर ये स्टडी की. इसमें पाया गया कि लगभग 21 प्रतिशत सैनिक किसी न किसी मानसिक समस्या का शिकार हैं.