करगिल का ये इतिहास आपको गर्व से भर देगा
20 साल पहले आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। यह दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व है। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था | वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।
वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी | जब उसने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया।
क्योंकि ये ऐसा युद्ध था… जिसे शुरुआत में घुसपैठ माना गया और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा | लेकिन नियंत्रण रेखा पर खोजबीन और इन घुसपैठियों की रणनीति का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बड़े पैमाने पर की गई है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत दो लाख सैनिकों को मोर्चे पर भेजा। मई से शुरू हुआ यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ।
पाकिस्तान का दावा झूठ था, हमलावर आतंकी नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना थी !
उस वक्त पाकिस्तान ने दावा किया था कि इस युद्ध को लड़ने वाले सभी कश्मीरी आतंकी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना सीधे तौर पर इस युद्ध में शामिल थी… और उस वक्त सेनाध्यक्ष बनने के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने ही इसे अंजाम दिया था। पाक के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी अपनी भूमिका से इंकार किया था… और मुशर्रफ को ही जिम्मेदार ठहराया था।
युद्ध के कारण पाकिस्तान में राजनितिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई !
पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ राष्ट्रपति बने। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला। देश एकसूत्र में और मजबूती से एकजुट हुआ। भारत सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कारगिल में सबसे ज्यादा बमबारी हुई
इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं, 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेटों का इस्तेमाल किया गया। लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट एक राउंड फायर किया गया। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया। इसके बाद जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया गया।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को चूर-चूर कर दिया
कारगिल की जंग ने उस सोच को गलत साबित कर दिखाया, जिसमें दुश्मन की रणनीतिक मजबूती के आगे घुटने टेक देने कि बात कही जाती थी। इस जंग में दुश्मन चोटी पर था, सीना ताने भारतीय जवान पहाड़ी के नीचे उसे ललकार रहे थे। भारतीय जवानों ने अपनी जान की परवाह नहीं की दुर्गम पहाडि़यों पर चढ़कर देश में घुसपैठ करने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को चूर-चूर कर दिया। यह जंग लगभग 60 दिनों तक चली। 20 साल पहले 26 जुलाई ही के दिन 1999 में कारगिल जंग में विजय की घोषणा हुई थी। इस जंग के बाद देश में एक पूरी पीढ़ी तैयार हो चुकी है, जो इस जंग के अमर शहीदों की वीरता और शौर्य से प्रेरित और गर्वित होगी। हर भारतीय के लिए यह दिन राष्ट्रभक्ति के भाव से भर देने वाला है |