छोटे परिवार के लिए क्रूर तरीके अपना चुका China क्यों लाया 3 बच्चों का फॉर्मूला?
दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन को एक्सपर्ट डेमोग्राफिक टाइम बम पर बैठा मान रहे हैं. अनुमान है कि जल्दी ही परिवार बढ़ाने पर ध्यान न दिया गया तो चीन की बड़ी आबादी बुजुर्ग होगी. चीन की जनगणना के मुताबिक साल 2020 में यहां 18.7% लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के थे. बड़े तबके के उम्रदराज होने का सीधा फर्क देश की GDP पर होगा. यही कारण है कि चीन में कपल्स को तीन बच्चों के परिवार की इजाजत दे दी.
दशकों तक चीन में एक-बच्चा नीति रही
दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के बाद आए बेबी-बूम का असर यहां भी हुआ और तेजी से आबादी बढ़ने लगी. तब चीन में कम्युनिस्ट पार्टी आ चुकी थी, जिसका ध्यान विकास पर था. ऐसे में बढ़ती आबादी को खतरा मानते हुए तत्कालीन सरकार ने वन-चाइल्ड पॉलिसी लागू कर दी. इसके तहत किसी भी कपल को एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने की इजाजत नहीं थी और जो ऐसा करता, उसे सरकारी नौकरी से लेकर सुविधा तक नहीं मिलती थी.
एक-बच्चा नीति इतनी सख्त थी कि चीनी जोड़े डरने लगे और बच्चों के जन्म की रफ्तार घटती चली गई. साइंस वेबसाइट ZME Science में बताया गया है कि सरकारी नीति को लेकर जनता में इस कदर डर था कि अगर दूसरा बच्चा दुनिया में आ जाए तो उसका जन्म प्रमाणपत्र तक नहीं बनवाया जाता था. यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन में 5 साल से कम उम्र के लगभग 290 मिलियन बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है.
कन्या भ्रूण हत्या बढ़ी
इसके अलावा पितृसत्तात्मक सोसायटी में चीन में लड़कों की ज्यादा महत्व मिलता. ऐसे में भ्रूण जांच कराकर लड़की शिशु की गर्भ में ही हत्या कर दी जाती. माना जाता है कि वहां बीते तीन दशकों में वन चाइल्ड पॉलिसी के कारण 37 मिलियन चीनी बच्चियों को या तो गर्भ में ही मार दिया गया, या फिर उन्हें छोड़ दिया गया, जिससे वे तस्करी की शिकार होकर लापता हो गईं. ये आंकड़ा उस 400,000,000 गर्भपात से अलग है, जो एक-बच्चा नीति के कारण खत्म हो गए.
लड़कों की तुलना में लड़कियां घटीं
इस तरह से चीन में एक-बच्चा नीति के कारण न केवल आबादी बुजुर्ग होने लगी, बल्कि भयंकर लिंगानुपात भी आ गया. अब हो ये रहा है कि चीन में 118 लड़कों पर 100 लड़कियां हैं. ऐसे में शादी न हो पाना भी बड़ी समस्या बन गई. अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक चीन में 4 में से चीनी पुरुष शादी कर सकेगा, जबकि बाकी 3 चाहने के बाद भी अविवाहित रह जाएंगे.
गैर-शादीशुदा रह जाएंगे पुरुष
इसका जिक्र द डेमोग्राफिक फ्यूचर नाम की किताब में है, जिसे Nicholas Eberstadt ने लिखा है. इसके अनुसार 30 या उससे ज्यादा उम्र के लगभग 25% चीनी पुरुष शादी के इच्छा के बाद भी शादी नहीं कर पाएंगे क्योंकि लड़कियां नहीं होंगी. शादी न हो पाने का फर्क एक बार फिर बुढ़ाती आबादी के तौर पर दिखने लगेगा.
अब जाकर तीन-बच्चा नीति
वैसे लंबे वक्त के बाद साल 2013 में चीन ने वन चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव कर दो बच्चों की अनुमति तो दी लेकिन इससे भी कोई खास फायदा नहीं हुआ, बल्कि बूढ़ी आबादी का ग्राफ लगातार बढ़ता रहा. यही देखते हुए अब वहां तीन-बच्चा नीति आ चुकी है, यानी अगर कपल चाहें तो तीन बच्चों को जन्म दे सकते हैं और उनपर कोई जुर्माना नहीं लगेगा.
उम्रदराज आबादी क्यों डराती है?
आबादी के बूढ़ा होने का असर संतानोत्पत्ति पर होता है. इसके अलावा उम्र बढ़ने पर लोग उत्पादक नहीं रह जाते, साथ ही उनके लिए पेंशन और हेल्थकेयर की व्यवस्था करनी होती है. इसका काफी भार चीन सरकार पर हो रहा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में चीन के सेंट्रल बैंक के पूर्व डायरेक्टर शु जोंग ने कहा कि देश के पेंशन सिस्टम में सुधार की जरूरत है क्योंकि अब हालात गंभीर हैं.
संतान जन्म पर दिया जा रहा ईनाम
वैसे चीन भी अब कई दूसरे देशों की तर्ज पर बेबी बोनस की सोच रहा है यानी बच्चों के जन्म पर पेरेंट्स को मिलने वाली सुविधाएं जैसे छुट्टियां और देखभाल के लिए पैसे. शिक्षा और मेडिकल सुविधाएं भी इसके तहत आती हैं. बेबी बोनस देने वाले देशों में फिलहाल जापान, फिनलैंड, बाल्टिक देश एस्टोनिया शामिल हैं. वहीं इटली कपल्स को संतान पैदा करने के लिए बढ़ावा देने को बहुत कम कीमत पर घर दे रहा है.