दिन रात जागते रहे इसरो के वैज्ञानिक, तब जाकर सफल हुई चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है | चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया | अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है | करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा | इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने लॉन्च की सफलता के बाद मिशन कंट्रोल सेंटर में मौजूद सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी | उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग देश के लिए ऐतिहासिक दिन है | चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग हमारी उम्मीद से ज्यादा बेहतर रही है |
जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट ने तय समय पर चंद्रयान-2 को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया है | डॉ. सिवन ने बताया कि हमारे चंद्रयान-2 में ज्यादा ईंधन है | उसकी लाइफलाइन भी ज्यादा है | क्योंकि हमने ऑर्बिट में उसे बेहतर तरीके से स्थापित कर दिया है |
15 जुलाई को हुई तकनीकी खामी को लेकर इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि इसरो वैज्ञानिकों ने 24 घंटे के अंदर ही तकनीकी खामी को ठीक कर लिया था | पिछले एक हफ्ते से हमारे वैज्ञानिक दिन रात जगते रहे, ताकि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग सफल हो | इसबार जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट की क्षमता में भी 15 फीसदी का इजाफा किया है | ये अब तक का हमारा सबसे ताकतवर रॉकेट है |
डॉ. के. सिवन ने बताया कि अब चंद्रयान-2 सैटेलाइट मिशन से जुड़े वैज्ञानिक अगले 48 दिनों में अंतरिक्ष यात्रा के दौरान चंद्रयान-2 की 15 बार स्थिति बदलेंगे | अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है | अभी हमें और हमारी टीम को लगातार काम करना है| इसरो यहीं नहीं रुकेगा | इस साल के अंत तक एक और महत्वपूर्ण सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की लॉन्चिंग करेगा | चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा |
इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा | 19 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा | इसके बाद 13 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा | फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा | 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा | लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा |