पैनल ने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर सौंपी रिपोर्ट, कहा- महिलाओं पर भी हुआ हमला
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) के बाद हुई विभिन्न प्रकार की हिंसा की घटनाओं (Bengal Post Poll Violence) की जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सरकारी बयान के मुताबिक तथ्य उजागर करने वाली इस रिपोर्ट को शनिवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) के समक्ष प्रस्तुतत किया गया.
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा के नेतृत्व वाले एक बुद्धिजीवियों और शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तथ्यों को उजागर करने वाली रिपोर्ट ‘2021 में बंगाल में खेला’ नामक शीर्षक की अपनी रिपोर्ट को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को सौंपा. केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी.
हिंसा का कारण जानने के लिए सौंपी गई थी टीमगृह मंत्रालय की इस चार सदस्यीय टीम को चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण जानने का काम सौंपा गया था. केंद्र ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से बंगाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर खासकर की राज्य में 2 मई को आए चुनाव नतीजों को लेकर भड़की हिंसा को लेकर रिपोर्ट मांगी थी.
भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि कई घटनाओं में उसके छह कार्यकर्ताओं की जान गई है. टीम ने दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना जिलों का दौरा किया और मारे गए लोगों के परिवारों और आस-पास के लोगों से बातचीत की.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में उनके 16 कार्यकर्ताओं की मौत हुई है. भाजपा ने आरोप लगाया था कि टीएमसी समर्थक गुंडों ने उसके कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी और महिला कार्यकर्ताओं पर हमला किया, घरों में तोड़-फोड़ की और दुकानों को लूटा.
हालांकि इन आरोपों को दरकिनार करते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि ऐसी हिंसा की घटनाएं उन्हीं इलाकों में हो रही हैं जहां पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की है.