कोरोना पर पीएम मोदी के साथ मीटिंग पर भड़कीं ममता, कहा- हमको बोलने भी नहीं दिया
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश के जिला अधिकारियों और जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों से संवाद किया. हालांकि इस बैठक में बंगाल से कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था. उधर पीएम की बैठक संपन्न होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने एक प्रेस वार्ता कर केंद्र की मोदी सरकार और पीएम पर आरोपों की बारिश की. उन्होंने दावा किया कि पीएम द्वारा आहूत बैठकों में राज्यों को बोलने नहीं दिया जाता. बनर्जी ने अपने समकक्ष मुख्यमंत्रियों से आह्वान किया कि उन्हें इसका विरोध करना चाहिए.
10 राज्यों के डीएम के साथ पीएम मोदी की बातचीत पर कहा ममता ने कहा- ‘यदि राज्यों को बोलने की अनुमति नहीं थी तो उन्हें क्यों बुलाया गया. बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर सभी मुख्यमंत्रियों को विरोध करना चाहिए.’
ममता का दावा- राज्यों को बोलने नहीं दिया गया
ममता ने प्रेस वार्ता में दावा किया कि बैठक में दस राज्यों के सीएम मौजूद थे. बतौर मुख्यमंत्री मैं जब बैठक में थी तो मैंने जिलाधिकारी को नहीं शामिल होने दिया. सीएम ने आरोप लगाया कि बैठक में सिर्फ भाजपा के कुछ मुख्यमंत्रियों और पीएम मोदी ने अपनी बात रखी. हमें नहीं बोलने दिया गया. बाकी सभी सीएम चुप बैठे रहे. किसी ने कुछ नहीं कहा.
टीएमसी सुप्रीमो ने दावा किया कि उन्हें वैक्सीन के संदर्भ में बोलना था लेकिन उनको बोलने का मौका नहीं दिया गया. ममता ने कहा- पीएम कह रहे हैं कि कोरोना कम हो रहा है, लेकिन पहले भी ऐसा ही कहा गया. हम तीन करोड़ वैक्सीन की मांग रखने वाले थे लेकिन हमें कुछ नहीं कहने दिया गया. हमें इस माह 24 लाख वैक्सीन मिलनी थी लेकिन सिर्फ 13 लाख वैक्सीन ही मिली.
सीएम ने आरोप लगाया कि राज्य को रेमेडिसिविर भी नहीं दी गई और पीएम मोदी मुंह छिपा कर भाग गए. ममता ने कहा कि जब देश संकट के दौर से गुजर रहा है तो पीएम बहुत सी सामान्य रुख इस्तेमाल कर रहे हैं. उ्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने देश के संघीय ढांचे का नुकसान किया.
ममता ने कहा कि ऑक्सीजन, दवा, वैक्सीन कुछ भी मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के फार्मूले पर चले तो इनके 10 साल इंतजार करना पड़ेगा.
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
अधिकारियों से संवाद के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पिछली महामारियां हों या कोरोना वायरस से पैदा हुई ताजा स्थिति, हर महामारी ने हमें एक बात सिखाई है. उन्होंने कहा, ‘महामारी से लड़ाई के हमारे तौर-तरीकों में निरंतर बदलाव, निरंतर नवोन्मेष बहुत ज़रूरी है. ये वायरस अपना स्वरूप बदलने में माहिर है. या कहें कि यह बहुरूपिया तो है ही, धूर्त भी है. इसलिए इससे निपटने के हमारे तरीके और हमारी रणनीति भी विशेष होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘टीकाकरण की रणनीति में भी हर स्तर पर राज्यों और अनेक पक्षों से मिलने वाले सुझावों को शामिल करके आगे बढ़ाया जा रहा है.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ समय से देश में विभिन्न अस्पतालों में उपचाररत मरीजों की संख्या कम होने लगी है लेकिन जब तक ये संक्रमण छोटे स्तर पर भी मौजूद है, तब तक चुनौती बनी रहती है. उन्होंने कहा, ‘कोविड महामारी की दूसरी लहर के बीच वायरस के स्वरूपों की वजह से अब युवाओं और बच्चों के लिए ज्यादा चिंता जताई जा रही है.’
टीकों की बर्बादी रोकना जरूरी- पीएम
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि जिस तरह से वह जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, इससे इस चिंता को गंभीर होने से रोकने में मदद मिली है लेकिन इसके बावजूद सभी को आगे के लिए तैयार रहना ही होगा. उन्होंने कहा, ‘जीवन बचाने के साथ-साथ हमारी प्राथमिकता जीवन को आसान बनाए रखने की भी है. गरीबों के लिए मुफ्त राशन की सुविधा हो, दूसरी आवश्यक आपूर्ति हो, कालाबाज़ारी पर रोक हो, ये सब इस लड़ाई को जीतने के लिए भी जरूरी हैं, और आगे बढ़ने के लिए भी आवश्यक है.’
प्रधानमंत्री ने इस संवाद के दौरान टीका की बर्बादी रोकने पर भी जोर दिया और कहा कि एक भी खुराक के व्यर्थ जाने का मतलब है, किसी एक जीवन को जरूरी सुरक्षा कवच नहीं दे पाना. उन्होंने कहा, ‘इसलिए टीकों की बर्बादी रोकना जरूरी है.’