गोरखपुर पांच साल की बेटी को किया आइसोलेट, दम्पत्ति ने बेटे संग कोरोना को हराया
कोरोना के प्रति डर को मन से निकाल दिया जाए, सतर्कता दिखाई जाए। समय रहते जांच हो और समाज का बर्ताव सही हो तो कठिन परिस्थितियों में भी इस बीमारी को मात दी जा सकती है। ऐसा ही कर दिखाया है स्वास्थ्यकर्मी नवीन श्रीवास्तव और उनके परिवार ने । जंगल कौड़िया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लैब टेक्निशियन नवीन को जैसे ही लक्षण दिखे, उन्होंने खुद अपनी और पूरे परिवार की कोविड जांच करा ली। जांच में पत्नी और बेटे भी कोविड पॉजीटिव निकले, लेकिन पांच साल की बेटी की रिपोर्ट निगेटिव आई। पत्नी को पहले से ही सांस संबंधित बीमारी है। इसके बावजूद इस परिवार ने धैर्य से काम लिया। बेटी को आइसोलेट कर दिया और बाकी लोगों ने होम आइसोलेशन में रहते हुए कोरोना को मात दी।
नवीन ने बताया कि यह संभव न हो पाता अगर पड़ोस में रहने वाले रिश्तेदारों का रवैया सकारात्मक न होता। रिश्तेदारों ने बगैर किसी भेदभाव के उनकी बेटी को अपने घर रख लिया। बेटी ने जब रोना शुरू किया तो दिन में उसे नवीन के घर पहुंचा देते थे और उस घर के एक अलग कमरे में ही आइसोलेट कर देते थे और रात में रिश्तेदार के घर भेज देते थे। कोरोना चैंपियन परिवार के मुखिया के बतौर नवीन के लिए यह पूरा दौर काफी मुश्किल भरा था लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया। वह बताते हैं कि कर्तव्यो के निर्वहन के दौरान पिछले माह 13 अप्रैल को वह कोविड पॉजिटव हो गये। उन्होंने बगैर देरी करते हुए पूरे परिवार की कोरोना जांच कराई। जांच में पत्नी नीतू श्रीवास्तव और 11 साल का बेटा क्षितिज भी कोविड पॉजीटिव थे। पांच साल की बेटी पीहू की रिपोर्ट निगेटिव थी। स्पोर्ट्स कॉलेज रोड स्थित उनके मकान में सिर्फ यही चार लोग रहते हैं। सबसे बड़ी चिंता यह थी कि बच्ची को कहां रखा जाए और पत्नी की देखरेख ठीक तरीके से हो।
परिवार ने होम आइसोलेशन में इलाज करने का निर्णय लिया। घर में पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, भाप लेने की मशीन आदि सभी व्यवस्था मित्रों के मदद से कर ली। बेटी को पड़ोसी रिश्तेदार के यहां भेज दिया। नवीन का कहना है कि मित्र और रिश्तेदार घर पर खाना पहुंचा देते थे। दोनों समय भाप लेना, चिकित्सक से निरंतर संपर्क में रहना, मेडिकल किट की दवाओं का सेवन करना, ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहना, दोनों समय योग और प्राणायाम करना और पौष्टिक खानपान का सेवन करना उनकी दिनचर्या थी। पत्नी को वह ऐसे उदाहरण बताते रहते थे जिसमें सांस के मरीज कोविड से ठीक होकर घर लौटे हैं। वह कहते हैं कि परिवार का हर सदस्य अलग-अलग कमरे में आइसोलेट रहता था और घर में सिर्फ सकारात्मक बातें की जाती थीं। चूंकि वह खुद स्वास्थकर्मी हैं इसलिए उनके परिवार का आत्मविश्वास बनाए रखने में आसानी हुई। 27 अप्रैल को पूरे परिवार की कोविड जांच हुई। पत्नी और बेटे कोविड निगेटिव हो गये लेकिन वह खुद कोविड पॉजीटिव रहे।
अकेले आइसोलेट रहे नवीन
पत्नी और बेटे की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद नवीन अकेले होम आइसोलेट रहे। बेटी घर में आ गयी, लेकिन सभी लोग घर में भी कुछ दिनों तक मॉस्क लगाते रहे। सात मई को नवीन की रिपोर्ट भी निगेटिव आ गयी। अब पूरा परिवार स्वस्थ है। उनका कहना है कि होम आइसोलेशन एक अच्छा विकल्प है लेकिन इसमें सतर्कता अवश्य बरतनी चाहिए। अगर किसी को होम आइसोलेशन के दौरान सांस लेने में दिक्कत हो या कोई गंभीर समस्या हो तो फौरन चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और अस्पताल में भर्ती होने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि वह ड्यूटी के दौरान पूरी सतर्कता रखते हैं, लेकिन कहीं न कहीं कोई चूक हुई होगी तभी वह और उनका परिवार कोविड की चपेट में आया। इसलिए सभी लोगों को चाहिए कि वह दो गज की दूरी, मास्क के इस्तेमाल और हाथों की स्वच्छता के नियमों का पालन गंभीरता से करें।