रेमिडिसिविर के बाद, अब ब्लैक फंगस इंजेक्शन की बाजार में हुई किल्लत
म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस ) के उपचार के लिए आवश्यक लिपोसोमल साल्ट के इंजेक्शन की बाजार में किल्लत हो गई है और इसकी कालाबाजारी और अनैतिक बिक्री की आशंका को देखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भेजे एक पत्र में मांग की है कि ब्लैक फंगस के उपचार में आने वाले सभी इंजेक्शन की दवा निर्माताओं द्वारा की जा रही आपूर्ति को केंद्र सरकार तुरंत अपने नियंत्रण में ले और राज्य सरकारों के माध्यम से इन इंजेक्शनों की आपूर्ति सीधे अस्पतालों में की जाए जिससे जरूरतमंद मरीजों को यह इंजेक्शन आसानी से मिल जाए !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने डॉ. हर्षवर्धन को भेजे पत्र में कहा कि इन इंजेक्शनों की कमी का मामला हाल ही में तब सामने आया जब दिल्ली के भागीरथ प्लेस में स्तिथ दवा बाजार में थोक व्यापारियों के पास दिल्ली एवं दिल्ली के बाहर के राज्यों से पिछले 4-5 दिनों से लिपोसोमल साल्ट के इंजेक्शन की मांग के लिए प्रतिदिन सैकड़ों फोन आये क्योंकि वर्तमान में डॉक्टरों द्वारा ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इन इंजेक्क्शनों को लिखा जा रहा है ! भागीरथ प्लेस एशिया का सबसे बड़ा दवा बाजार है जो पूरे देश में दवाओं की आपूर्ति करता है।
दिल्ली ड्रग ट्रेडर्स एसोसिएशन (डीडीटीए) के महासचिव आशीष ग्रोवर, जो कैट, दिल्ली चैप्टर के महामंत्री भी हैं ने बताया कि भारत में कुछ फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित लिपोसोमल साल्ट के इंजेक्शन की भारी कमी है, जिसमें सिप्ला द्वारा बनाया जाने वाला फोसमे 50 , भारत सीरम द्वारा एम्फोनेक्स, सेलोन लैब्स द्वारा एमफाइट , भारत सीरम द्वारा एम्फोलिप और कुछ अन्य कंपनियों जैसे माइलान लैबोरेटरीज और एबॉट लेबोरेटरीज आदि द्वारा निर्मित इसी साल्ट की दवाएं हैं । ये इंजेक्शन वर्तमान में बाजार में उपलब्ध नहीं हैं और इनकी कालाबाज़ारी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है अथवा इन इंजेक्शनों को अधिक कीमत पर भी बेचा जा सकता है !
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इन दवाओं के इंजेक्शन बड़े पैमाने पर केवल निर्यात के लिए ही उपयोग किए जाते थे क्योंकि भारत में इनकी मांग बेहद कम थी ! कोरोना के कारण हो रहे ब्लैक फंगस के इलाज़ में इन इंजेक्शनों की मांग के बाद से पिछले कुछ में इनकी मांग अचानक बहुत बढ़ गई है लेकिन इन दवाओं के सीमित निर्माण के कारण बाजार में इनकी उपलब्धता फिलहाल बहुत कम है।
भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने डॉ. हर्षवर्धन को सुझाव दिया कि इन महत्वपूर्ण इंजेक्शनों की किसी भी प्रकार की कालाबाजारी को रोकने और मरीजों के सम्बन्धियों को दर -दर की ठोकरे खाने से बचाने के लिए सरकार को इन इंजेक्शनों की निर्माताओं द्वारा आपूर्ति को तुरंत अपने नियंत्रण में लेना चाहिएऔर निर्माताओं से सीधे इन इंजेक्शनों को राज्य सरकारों की मार्फ़त अस्पतालों में आपूर्ति करने की व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए ताकि इन इंजेक्शनों की आवश्यकता वाले रोगियों को यह इंजेक्टशन आसानी से उपलब्ध हो सके और उनके परिवार वालों को इन इंजेक्शनों की खरीद के लिए बाजारों में जाना ही न पड़े और कोई भी बेईमान व्यक्ति वर्तमान स्थिति का लाभ नहीं उठा सके। भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की हम नहीं चाहते कि पिछले दिनों में रेमिडिसविर जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति न हो !