कोरोना की तीसरी लहर के प्रकोप से बचने के क्या हैं महामंत्र, जानें-एक्सपर्ट की राय
कोरोना के दूसरी लहर के खौफ के बीच तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। विषेशज्ञों का मानना है कि इस वर्ष सितंबर व अक्टूबर में तीसरी लहर आने की प्रबल आशंका है। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर कम उम्र वालों को ज्यादा प्रभावित करेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि तीसरी लहर को लेकर हमें सतर्क रहना होगा। आइए जानते हैं कि तीसरी लहर के प्रकोप को खत्म करने के लिए यानी उसके प्रसार को रोकने के लिए क्या कहते हैं हमारे विशेषज्ञ। कोरोना की तीसरी लहर का क्या स्वरूप होगा? यह लहर कितनी खतरनाक होगी? आइए जानते इस बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ डॉ. सूर्यकांत।
तीसरी लहर के प्रकोप से बचने का महामंत्र
- केजीएमयू लखनऊ में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत (ब्रांड एंबेसडर, कोविड टीकाकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) ने बताया कि कोरोना वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है, इसलिए तीसरी लहर आने की आशंका प्रबल है। हालांकि, डॉ सूर्यकांत का मानना है कि यदि हम भारत सरकार की गाइडलाइंस को कठोरता से फॉलो करें तो शायद कोरोना की तीसरी लहर के प्रकोप को सीमित किया जा सकता है, लेकिन शर्त यह है कि सभी को इसका दृढ़ता से पालन करना होगा।
- उन्होंने कहा राज्यों को भी भारत सरकार की गाइडलाइंस को पूरी तरह से अमल में लाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ये गाइडलाइंस विभिन्न वैज्ञानिकों एवं अनुभवी डॉक्टरों के परामर्श से तैयारी की जाती है। यह अनुभवों एवं शोध पर आधारित होती है। वैज्ञानिकों एवं अनुभवी डॉक्टरों का बड़ा तबका इस पर काम करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गाइडलाइंस को फालो करके तीसरी लहर के प्रकोप, प्रसार और इसकी मारक क्षमता को घटा सकते हैं। इसके लिए कंटनमेंट, परीक्षण और उपचार को लेकर सभी तरह की गाइडलाइंस का पालन करके इसके प्रसार को रोका जा सकता है।
- डॉ. सूर्यकांत का मानना है कि तीसरी लहर और ज्यादा खतरनाक होगी, क्योंकि इस बार के संक्रमितों में कोविड-19 के खिलाफ विकसित हुई इम्युनिटी तब तक खत्म हो चुकी होगी। बस एक ही रास्ता है कि सितंबर से पहले देश की एक बड़ी आबादी का टीकाकरण कर दिया जाए, ताकि कोरोना उतना प्रभावी न रह जाए। वे कहते हैं कि टीकाकरण को रफ्तार देने के लिए छोटे स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वास्तव में दुनिया की कोई वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ सौ फीसद प्रभावी नहीं है।
- उन्होंने कहा कि वैक्सीन के बाद भी 20 से 30 फीसद लोगों को यह खतरा बना रहता है कि दोबारा सकंमण हो जाए, लेकिन वैक्सीन लगवाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बीमारी घातक व गंभीर नहीं होने पाती है। वैक्सीन लगने के बाद भी आपको कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करना है। क्योंकि टीका लगने के बाद भी वायरस आपके सांस मार्ग से प्रवेश कर सकता है और यह बाहर भी जा सकता है। अर्थात आप भी संक्रमित हो सकते हैं व दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह महामंत्र दवाई भी और कड़ाई भी असरदार है।
- सरकार दूसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की कोशिश में जुटी है। ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए दुनिया के अन्य देशों से उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए उपकरण आ रहे हैं। कोरोना जांच में भी तेजी लाई जा रही है। हालांकि, आपतकालीन स्थितियों से निपटने में टीकाकरण की रफ्तार प्रभावित हुई है। वैक्सीन की कमी की शिकायतों के बाद सरकार ने रूसी स्पुतनिक वी के इस्तेमाल की इजाजत तो दी ही, दुनिया की अन्य वैक्सीन के लिए भी भारत के दरवाजे खोल दिए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों को परिस्थितियों के अनुरूप माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने और स्थानीय लॉकडाउन लगाने की छूट दी है।
- डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि इस समय देश में 20 से 25 लाख टीका प्रतिदिन लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आबादी के लिहाज से टीकाकरण की यह गति काफी धीमी है। इसकी गति को बढ़ाना होगा। उन्हाेंने एक आंकड़े के जरिए यह समझाने का प्रयास किया है कि यदि हम प्रतिदिन एक करोड़ टीका लगाते तो तीसरी लहर के पहले पूरे देश में टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इससे संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। इस बाबत उन्होंने इजराइल जैसे देशों का उदाहरण पेश किया।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि टीकाकरण उन केंद्रों पर नहीं होना चाहिए, जहां कोविड के रोगी भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि इससे वायरस संक्रमण का भय बना रहाता है। उन्होंने सरकार और स्थानीय प्रशासन से इस दिशा में सख्त कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि टीककरण केंद्रों में आए स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।