वाराणसी के गंगा तट पर खेली जलती चिताओं संग चिता:भस्म होली
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में गुरुवार को बाबा मशान नाथ की भव्य पूजा-अर्चना के साथ मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच चिता-भस्म होली खेली गई।
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के अगले दिन गंगा किनारे बाबा विश्वनाथ जलती चिताओं के मध्य अपने भक्तजनों के साथ चिताभस्म होली खेलने आते हैं। इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए लोगों ने जानलेवा कोरोना महामारी की तनिक भी परवाह नहीं की और हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालु मणिकर्णिका घाट पर हर साल होने वाले इस धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। भक्तगण औघड़दानी एवं उनके गणों-भूत-पिशाच समेत तमाम भूमिकाओं में घाट पर दिखाई दिये। उन्हें देखने दर्शकों का सैलाब उमड़ पड़ा।
डमरूओं की थाप तथा घंटों की ध्वनि के बीच ‘ खेले मसाने में होली दिगंबर,’ बाबा के प्रिये गीत एवं ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे के बीच बड़ी संख्या में लोगों ने मंदिर में आशीर्वाद लिये तथा घाट पर चिता भस्म के साथ-साथ अबीर-गुलाल एक-दूसरे को लगा उनकी सुख एवं समृद्धि की कामना की।
घाट पर पहुंचे नेपाल के वीरेंद्र थापा ने बताया कि वह गत पांच वर्षों से इस आयोजन में शामिल होने के लिए यहां आते हैं। मणिकर्णिका घाट पर आकर उन्हें लगता है कि जिंदगी की सच्चाई के दर्शन हो गये। यहां उनका मन हल्का हो जाता है तथा जीने की नई शक्ति मिलती है। बिहार के सासाराम जिले के निवासी सुखदेव सिंह ने बताया कि वह वाराणसी में ही रहते हैं। धार्मिक नगरी के अधिकांश धार्मिक आयोजनों में वह शामिल होते हैं लेकिन चिता भस्म की होली तमाम त्योहारों से अलहदा है। उनके बच्चे भी इसमें कई बार शामिल हो चुके हैं। उनका कहना है कि यहां आकर मन का डर दूर हो हो जाता है और लगता है मानो बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दे दिये।