गाजियाबाद में मानव स्वास्थ्य और फसलों पर धूल का आक्रमण

भले ही गाजियाबाद स्वच्छ सर्वेक्षण के फीडबैक में सबसे आगे चल रहा है | लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर करने के लिए धरातलीय स्तर पर अभी और भी बेहतर करने की जरूरत है | गाजियाबाद नगर निगम के अंतर्गत कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर सड़कें बदहाल स्थिति में हैं | इन्हीं में से एक सड़क राजनगर एक्सटेंशन को मोर्ति गांव से जोड़ती है | लगभग दो किलोमीटर लंबी यह सड़क इस क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य और फसलों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है | प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस सड़क पर प्रतिदिन दो दर्जन से अधिक गाड़ियां नगर निगम की ही दौड़ती हैं | यह मार्ग इस कदर बदहाल है कि यदि आप इस मार्ग पर 2 किलोमीटर की यात्रा कर लेते हैं तो धूल की कई परतो से ढकने के बाद शायद ही आप अपने आपको पहचान सके | दिन भर धूल उड़ाती गाड़ियां पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ फसलों को भी बुरी तरह नुकसान पहुंचा रही हैं |

स्थानीय किसानों ने बताया कि यह समस्या वर्ष 2019 से चली आ रही है | जहां एक तरफ केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है | वही गाजियाबाद के क्षेत्र में पिछले डेढ़ वर्षो में कई बार जिलाधिकारी, गाजियाबाद नगर निगम को अवगत कराने के बाद समस्या जस की तस बनी हुई है | आज आलम यह है कि फसलें चौपट हो रही हैं जो कुछ फसलें खेतों में बची भी हैं | दिनभर उड़ रही धूल के कारण उनको काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं | ऐसे अनेकों मार्ग गाजियाबाद में है जहां इस तरह की स्थिति बनी हुई है |

 

धूल के जमाव से फसल प्रभावित होती है

खाद्यान्न फसलों में विशेषकर आलू, सरसों, गेहूं और धान के पौधों पर मिट्टी के जमाव के कारण उनका विकास रुक जाता है | फसलों पर धूल की परत जमने के कारण पत्ते कमजोर होकर गिर जाते हैं, जिससे तने की वृद्धि भी रुक जाती है, इससे फसल और उत्पादन दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है | स्थानीय किसानों की माने तो मार्ग की बदहाली के बाद से इस क्षेत्र में फसल उत्पादन आधा रह गया है | जिस क्षेत्र में पहले से ही प्रदूषण का स्तर उच्च हो ऐसे में फसलों पर धूल के आक्रमण से समस्या दोगुनी होनी तय है | फसलों को धूल मुक्त करने के लिए मशीन से हवा और पानी बरसाया जा सकता है | गाजियाबाद प्रशासन इस कार्य में सक्षम भी है लेकिन अभी तक उसने यह करने की जरूरत नहीं समझी है |

धूल से स्वास्थ्य पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव

हवा में यदि धूल ज्यादा हो तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है | दरअसल नुकसान वह धूल कण करते हैं जो 10 माइक्रोन से छोटे होते हैं और हवा में खुल जाते हैं | जिससे सांस के जरिए यह शरीर में प्रवेश करते हैं और हवा के साथ-साथ ही यह कण रक्त में भी चले जाते हैं और रक्त के माध्यम से यह शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचकर उनको प्रभावित करते हैं | धूल के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्धों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है | रक्त में पहुंचने के बाद इन धूल कणों की संख्या जितनी ज्यादा होती है स्वास्थ्य को इनसे उतना ही खतरा होता है | स्वस्थ लोगों को इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और घुटन, शारीरिक श्रम करने में मुश्किल आती है | जबकि बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों पर इसका ज्यादा दुष्प्रभाव होता है | इनमें गले में संक्रमण, सीने में दर्द, सिर दर्द, नींद ना आने जैसी समस्या पैदा हो जाती है | दिल, मधुमेह, अस्थमा तथा अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह प्रदूषण जानलेवा साबित होता है | विशेषज्ञों की मानें तो जो बीमारियां गांव में 20 वर्षों में धुएं में रहने के कारण होती हैं उस प्रकार की बीमारियां धूल कण के कारण मात्र 2 साल में हो जाती हैं |

क्या बोले अधिकारी

जब इस संदर्भ में गाजियाबाद नगर आयुक्त से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो संपर्क नहीं हो सका | नगर आयुक्त के कार्यालय से संपर्क करने पर बताया गया कि यह मामला संज्ञान में है जल्द ही इस मार्ग का जीर्णोद्धा

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