चुनौतियों से निपटने में सक्षम नई शिक्षा नीति-2020: प्रो. कस्तूरीरंगन
प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक, शिक्षाविद और नई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति के अध्यक्ष प्रो. के. कस्तूरीरंगन ने विश्वविद्यालयों को अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिए एक बहु-विषयक उत्कृष्टता केंद्र के तौर पर पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर दिया है।
कस्तूरीरंगन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-काशी हिंदू विश्वविद्यालय, नीति आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल (काशी प्रांत) के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 में शिक्षकों की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार को संबोधित करते हुए बहु-विषयक शिक्षा को समय की मांग बतायी।
मुख्य अतिथि प्रो. कस्तूरीरंगन ने कहा कि कोविड-19 के कारण वैश्विक स्तर पर उपजी समस्याओं की पृष्ठभूमि पर संपूर्ण मानव सभ्यता ने नई शिक्षा नीति के दृष्टिकोण को महसूस किया। पहली बार एक वैक्सीन विकसित की गई है, जहाँ जैव-विज्ञान, आनुवंशिकी इंजीनियरिंग, रसायन इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान और कई अन्य धाराओं जैसे विविध समूहों के शोधकर्ताओं ने एक साथ काम किया और रिकॉर्ड समय में वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने काम शुरू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 में जिस तरह के दृष्टिकोण को अपनाने की बात कही गई हैं, उससे 21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
इससे पहले उद्घाटन सत्र में भारतीय शिक्षा मंडल के सचिव मुकुल कानिटकर नई शिक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के आने से पहले हमारी साक्षरता 90 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन गलत शिक्षा नीति को अपनाने के कारण धीरे-धीरे घटकर 20 प्रतिशत से भी कम हो गई।
उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान जोर दिया तथा भारत के गौरव को भी याद दिलाते हुए कहा कि भारत को विश्व की ज्ञान राजधानी ’जगतगुरु’ के रूप में फिर से स्थापित होना हैं और यह कार्य सिर्फ शिक्षक ही कर सकते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के पूर्व कुलपति और भारतीय शिक्षा मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो0 मनोज दीक्षित ने समाज की जड़ों से जुड़ी शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों के बीच नई शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं को प्रचारित करने जोर दिया।
आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो0 प्रमोद कुमार जैन ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए आश्वस्त किया कि आईआईटी (बीएचयू) नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि आईआईटी (बीएचयू) को मातृभाषा में शिक्षा शुरू करने के लिए तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता के संस्थानों में से एक के रूप में पहचाना गया है। नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम संशोधन का कार्य पहले से ही चल रहा है और आने वाले शैक्षणिक सत्रों से इसे लागू किए जाने की संभावना है।
बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी डॉ0 राजेश सिंह ने बताया कि इस वेबिनार में देशभर से 80 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।