खेती के लिए घड़रोजों से ज्यादा खतरनाक छु्ट्टा साड़

उत्तर प्रदेश के जौनपुर के किसानों के लिए घड़रोजों से अधिक खतरनाक छुट्टा साड़ व बछड़े हो गये हैं।
जिले में पहले से ही किसानों की फसल के दुश्मन के रूप में घड़रोज माने जाते थे, उनकी वजह से किसान सब्जी दाल आदि फसलों की खेती करना बन्द करते जा रहे थे । प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद अनियमित बूचड़खानों के बन्द होने और गोवंशीय पशुओं के बध को बन्द करने की वजह से इस समय जिले में छु्ट्टा व बछड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोग अपनी गायों के बछड़ों को जब दूध पीना बन्द कर देते हैं तो उन्हे अपने घर से काफी दूर छोड़ देते हैं।
धीरे धीरे वे बछड़े साड़ बन जाते हैं और झुण्ड के झुण्ड लोगों की फसलों को चरकर नुकसान करते हैं। लोग गोवंश होने के नाते कुछ कह व कर भी नहीं पाते। घड़रोजों को मारने का लाइसेन्स बनता ही नहीं है। अब छुट्टा साड़ व बछड़ों से कैसे लोगों को निजात मिले, यह एक विचारणीय प्रश्न है।
योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में छुट्टा पशुओं के लिए अस्थायी आश्रम गृह बनवाए हैं जहां पर छुट्टा साड़ बछड़ों को रखा गया है मगर अधिक संख्या में छुट्टा जानवर किसानों की फसल भी बर्बाद कर रहे हैं ।
पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री एवं मिर्जापुर की वर्तमान सांसद अनुप्रिया पटेल ने एक बार जौनपुर में कहा था कि संसद में घड़रोजों के बारे में कानून लाने का प्रयास करेगें ताकि उन्हे उस अनुसूची में कर दिया जाय जिसकेे तहत यदि वे किसानों की फसलों को बर्बाद करते पाये जाय तो उन्हे आसानी से मारा जा सके। मगर तीन वर्ष से अधिक का समय हो गया। संसद में कानून में संशोधन के लिए प्रस्ताव नहीं लाया गया।
किसानों के सबसे बड़े दुश्मन के रूप में छुट्टा साड़ व बछड़े फसल बर्बाद कर रहे हैं। क्योंकि इनकी अधिकता की वजह से घड़रोजों के बारे में लोग चर्चा करना भूलते जा रहे हैं।
जौनपुर के किसान अपेक्षा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री छुट्टा साड़ों व बछ़ड़ों के बारे में कोई न कोई और व्यवस्था अवश्य करायेगें , ताकि किसानों की फसलों की सुरक्षा हो सके ।

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