क्षत्रिय पंचायत का तुगलकी फरमान, जाने क्या?

मुज़फ्फरनगर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खाप चौधरियो और पंचायतो का तालिबानी फरमान के बाद उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर से एक बार फिर पंचायत का तुगलकी फरमान सामने आया है, जिसमे ग्रामीण युवको पर जंहा हाफ पेंट पहनने पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाया गया है वंही ग्रामीण युवतियों पर भी जींस और स्कर्ट पहनने पर भी प्रतिबन्ध लगाया गया है। समाज के ठेकेदारों ने पंचायत में दिए गए फरमान का पालन नहीं करने वालो का सामाजिक बहिष्कार करने की भी घोषणा की है।

ग्राम पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गांव गांव पंचायतो का दौर शुरू हो गया है। पंचायतो में समाज के ठेकेदार अपना रुतबा और वजूद रखने के लिए नए नये हथकण्डे अपना रहे है। फिर चाहे वो तुगलकी फरमान ही क्यों न हो। ऐसा ही एक मामला सामने आया है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ्फरनगर में जंहा चरथावल विधानसभा क्षेत्र के गांव पिप्पलशाह में मंगलवार दोपहर एक क्षत्रिय पंचायतका आयोजन किया गया जिसमे राजपूत समाज के एक दर्जन से ज्यादा गांव के लोगो ने हिस्सा लिया। हालाँकि पंचायत का आयोजन चुनाव आयोग द्वारा ग्राम पंचायत चुनाव में की गयी आरक्षित सीटों के विरोध में बुलाई गयी थी जिसमे पंचायत में मौजूद लोगो ने आरक्षित सीटों का विरोध करते हुए ग्राम पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव के बहिस्कार करने का निर्णय लिया लेकिन कुछ देर बाद ही पंचायत में सामाजिक कुरूतियो को लेकर बहस होने लगी और पंचायत की अध्यक्षता कर रहे ठाकुर पूरण सिंह ने पंचायत में खड़े होकर तुगलकी फरमान का ऐलान करते हुए कहा की जिस देश और समाज की संस्कृति नष्ट होगी वो देश और वो समाज अपने आप समाप्त हो जाता है। उसे समाप्त करने के लिए किसी तोप या बन्दुक की जरुरत नहीं पड़ती इस लिए आज इस पंचायत में सभी जिम्मेदार लोग बैठे है वो सभी इस चीज पर पाबन्दी लगाए की इस बार चुनाव में शराब जैसी कोई भी चीज लागु नहीं होगी। दुरी व्यवस्था ये है की जो गांव में नई उम्र के लड़के है वो गांव में नहकर जिसे हाफ पेंट कहते है।

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हम ये कह रहे ही की आज के बाद किसी भी गांव में कोई भी लड़का यदि हाफ पेंट पहनकर घूमता मिला तो समाज उसे दण्डित करे। तीसरी बात ये है की हम सभी के घर में लड़कियां है और आज हमारी लड़कियां पढ़ने जा रही है ठीक है उन्हें पढ़ाओ बिना दहेज़ के उनका विवाह करो ये सब ठीक है लेकिन लड़कियां जींस पहनकर या आपत्तिजनक कपडे पहनकर जाये ये समाज के लिए अच्छा नहीं है इस पर भी समाज एक मत होकर पाबन्दी लगाये जो भारत की संस्कृति है और जो हमारी संस्कृति के परिधान है उन्ही कपड़ो का वो प्रयोग करे ना की जींस टॉप पहनकर गांव से जाये। और अगर स्कूल कालेजों में ये व्यवस्था नहीं है तो उन स्कूल कालेजों का भी बहिस्कार किया जायेगा। जिन स्कूलों में पेंट स्कर्ट यूनिफॉर्म पहनने की परंपरा है। और सरकार सभी गांव में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करे सभी गांव को सामान्य में करे जिससे प्रत्येक गांव में समान्य, ओ बी सी और एस सी वर्ग को चुनाव लड़ने का हक़ मिले।

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