इस एक कदम से मोदी ने पाकिस्तान में इमरान की थू-थू करा दी!
नरेंद्र मोदी सरकार ने शपथ ले ली है… इस शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया भर के मेहमान शामिल हुए सिवाय पाकिस्तान के… क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को नरेंद्र मोदी ने न्योता ही नहीं भेजा… चुनावों में नरेंद्र मोदी को मिली प्रचंड जीत के बाद इमरान ख़ान ने जिस लहज़े में उन्हें जीत की बधाई दी थी, उसके बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि हो सकता है कि पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी के राज्याभिषेक के मौके पर पाकिस्तान को न्योता दिया जाए… लेकिन फिर भी पाकिस्तान को न्योता नहीं मिला…न्योता नहीं मिलने से इमरान खान को अपने ही मुल्क में फजीहत झेलनी पड़ रही है… पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने इसे पाकिस्तान की बेइज्जती बताया है, और इसके लिए प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को जिम्मेदार ठहराया है… इतना ही नहीं मरियम ने यहां तक कह दिया कि मोदी इमरान ख़ान का फ़ोन भी नहीं उठाते हैं।
भारत के सामने झुका पाकिस्तान
पुलवामा हमले और बालकोट एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ी है.. यह मोदी की कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव ही था पाकिस्तान को विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
मोदी जानते हैं कैसे पाकिस्तान को ठीक करना है
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर चुनावी रैली में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया था….ऐसे में जीतने के बाद पाकिस्तान को न्योता ना देकर मोदी अपनी कूटनीतिक चाल में सफल रहे ..
इस बार बिम्सटेक देशों को न्योता
पिछली बार जहां मोदी ने सार्क देशों के नेताओं को शपथग्रहण में बुलाया था तो इस बार बिम्सटेक देशों को न्योता भेजा है, खास बात ये है कि इस बार पाकिस्तान को न्योता नहीं दिया गया है| पीएम मोदी ने पाकिस्तान को अपने शपथग्रहण समारोह से दूर रखकर पड़ोसी देश को संदेश भी दे देया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भी अहसास कराने की कोशिश की है भारत पड़ोसी देशों को अलग-थलग नहीं करना चाहता है| इसीलिए बहुत सोच समझकर बिमस्टेक देशों को न्योता भेजकर कूटनीतिक रूप से सही कदम उठाया गया । पाकिस्तान को छोड़कर बाकी सार्क देशों को बुलाए जाने से बेहतर बिमस्टेक का विकल्प था। बिमस्टेक का मतलब बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकॉनमिक को-ऑपरेशन होता है। मतलब बंगाल की खाड़ी में बसे वो देश जिनकी सरहद भारत के आसपास है। बांग्लादेश, भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड इसमें शामिल है। भारत के लिए ये देश इसलिए खास हैं क्योंकि भारतीय कंपनियों को एक बहुत बड़ा बाजार मिलता है और सिर्फ व्यापार ही नहीं चीन की बढ़ती शक्तियों से ये सारे देश परेशान हैं| इसलिए भारत इन सबके साथ बेहतर संबंध बनाकर बंगाल की खाड़ी में अपनी मजबूत स्थिति बनाना चाहता है। हर साल बिमस्टेक का सम्मेलन होता है और ये तय होता है कि आर्थिक और तकनीक रुप से एक दूसरे का सहयोग करेंगे। पड़ोसियों की अहमियत नरेन्द्र मोदी अच्छे से जानते हैं।