सहारनपुर में दान दी गई भूमि को लेकर धोखाधड़ी, जाने पूरा मामला
सहारनपुर में दान दी गई भूमि को करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी कर बेचने का मामला सामने आया है और यह मामला अध्यापिका से सुप्रीम कोर्ट की वकील बनी फरहा फैज लेकर आयी हैं अधिवक्ता फराह फैज ने बताया कि सहारनपुर के जेवी जैन डिग्री कॉलेज और उसको दान में मिली संपत्ति हमेशा से ही विवाद का विषय रही है 1947 में स्वर्गीय लाला प्रदुमन कुमार जैन ने प्रस्तावित जमीदारा खात्मा के कारण अपनी खेवट की कुछ भूमि दान पत्र के माध्यम से जेवी जैन डिग्री कॉलेज को दी थी परंतु 1950 में यूपी जमीदारा खात्मा अधिनियम 1950 के लागू होने पर दान पत्र निष्प्रभावी हो गया परंतु इस कॉलेज की प्रबंध कारिणी समिति की विशेष कर स्वर्गीय अशोक कुमार जैन ने अपने जीवित रहते समय दान पत्र की आड़ में समय-समय पर अवैधानिक रूप से तमाम जमीन बेचकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी कर ली गयी है उन्होंने इसकी शिकायत कई बार की परंतु उनके द्वारा शिकायत किए जाने के बाद कॉलेज ने उन पर और उनके करीबियों के विरुद्ध संपत्ति के घोटाले का मामला दबाने के उद्देश्य से थाना सदर बाजार में 4 अप्रैल 2010 में दर्ज कराई गई, और बिना किसी बात या साक्ष्य का संज्ञान ले बिना 10 सितंबर 2010 को चार्जशीट दाखिल कर दी गई परंतु यह चार्जशीट 10 वर्ष बाद भी माननीय न्यायालय में दाखिल नहीं की गई.
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इस संबंध में कई बार पुलिस के अधिकारियों के समक्ष गुहार की गई परंतु सुनवाई ना होने पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद का दरवाजा खटखटाया जहां से अब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा प्रभारी निरीक्षक थाना सदर बाजार से मामले की लापरवाही बरतने को लेकर जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए गए .. फरहा फैज का कहना था कि कॉलेज के पास दान से मिली जमीन के बाद 117 बीघा यानी कि 94500 वर्ग गज जमीन होनी चाहिए थी इस जमीन में से 11500 वर्ग गज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट वह 7600 वर्ग गज जमीन आवास विकास को चली गई जिन का मुआवजा कॉलेज को प्राप्त हुआ इस तरह से कॉलेज के पास 75300 वर्ग गज जमीन बची जिसमें कि 28330 वर्ग गज जमीन में कॉलेज की बिल्डिंग निर्मित है कॉलेज के पास वर्तमान में लगभग 47000 वर्ग गज खाली भूमि और लाला जी द्वारा 30 जून 1947 को कॉलेज को दान कि लगभग 20000 वर्ग गज भूमि में निर्मित पुराना भवन होना चाहिए था जबकि ऐसा नहीं है इस तरह से सैकड़ों करोड़ की भूमि की बजा रे मुरली की लगभग 67 वर्ग गज भूमि भू माफियाओं द्वारा मार्केट आदि बनवा कर बेच दी गई फरहा फैज ने इस मामले को लेकर न्यायालय में रिट दायर की थी.. फरहा फैज का कहना था की इस मामले को लेकर उनका इस कदर मानसिक उत्पीड़न किया गया जिला सहारनपुर छोड़ने के लिए मजबूर हो गई थी और आज भी 10 साल बाद इसी मामले को लेकर प्रेस के सामने आयी हैं।