हर दिल को छू लेगी फिल्म फौजी कॉलिंग
सरहद पर हाथ में बंदूक लेकर देश की रक्षा करने वाले हर फौजी के जज़्बे में देशभक्ति की भावना के साथ ही उसका परिवार की हिम्मत भी छुपी होती है। जब फौजी सरहद पर जंग लड़ते हैं तब एक जंग उनका परिवार भी लड़ रहा होता है। एक फौजी के परिवार की मनोस्थिति और जज़्बे को पर्दे पर पेश करने जा रही है 25 फरवरी को रिलीज़ हो रही फिल्म “फौजी कॉलिंग”। इस फिल्म के प्रमोशन के लिए पूरी टीम मंगलवार को लखनऊ के फ़ीनिक्स प्लासिओ मॉल स्थिति आइनॉक्स पहुंची। ओवेज़ प्रोडक्शंस और रनिंग हॉर्सेज फिल्म्स के प्रोडक्शन में बनी फिल्म फौजी कॉलिंग का ट्रेलर हाल में ही रिलीज़ हुआ है, जो दर्शकों को बहुत पसंद आया है। फिल्म के राइटर और डायरेक्टर आर्यन सक्सेना ने प्रेस से चर्चा के दौरान बताया कि यह फिल्म हर फौजी के परिवार की जंग की कहानी बयां करती है। एक फौजी के घर में होली और दीवाली की खुशियां तो उसके घर लौटने पर ही मनाई जाती है। यह फौजी पिता और उसकी बेटी के रिश्तों की भावनात्मक कहानी है।
फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे ख्यात अभिनेता शरमन जोशी ने आइनॉक्स में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि एक फौजी को हर पल मौत के साये में खड़े रहकर भी अपनी जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाने की हिम्मत उसके परिवार से ही मिलती है। यदि फौजी का परिवार ही हिम्मत हर जाए तो फौजी की हिम्मत भी टूट सकती है। यह फिल्म फौजी के परिवार की हिम्मत और संघर्ष दोनों की कहानी को बखूबी लोगों तक पहुंचाएगी। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह फिल्म लोगों के दिल को छू लेगी और इस फिल्म को देखने के बाद हर व्यक्ति में मन में हमारे देश की रक्षा करने वाले हर सिपाही के लिए इज्जत और बढ़ जाएगी।
व्हाइट वेगन एंटरटेनमेंट और ग्लैमर विजन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान फिल्म में लीड रोड निभा रही एक्ट्रेस बिदिता बाग़ ने कहा कि मैं केंद्रित विद्यालय की स्टूडेंट रही हूँ और उस दौरान मेरे साथ कई ऐसे बच्चे भी पढ़ते थे, जिनके पिता फ़ौज में थे इसलिए मैंने एक फौजी के परिवार और बच्चों की भावनाओं को बहुत करीब से महसूस किया है। इस फिल्म के लिए भी मैंने कई फौजियों के परिवार के इंटरव्यू पढ़े और उन्हें जानने की कोशिश की है। यह फिल्म मेरे लिए बेहद खास है और मेरे दिल के बहुत करीब है।
एक्टर विक्रम सिंह कहते हैं कि अब तक हम सैनिकों की बहादुरी की कहानिया देखते और सुनते आएं है। इस फिल्म के जरिए हम फौजियों के भावनात्मक पक्ष से भी दुनिया को रूबरू करवाने की कोशिश कर रहे हैं। किस तरह एक फौजी का परिवार उसके घर लौटने की राह देखता है और एक दिन जब उसके कभी भी घर ना लौट पाने की खबर आती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है, यह फिल्म उसी भावनात्मक पहलु को बहुत सशक्त तरीके से लोगों तक पहुंचाएगी।