स्मृति से अमेठी में इसलिए हार गए राहुल गाँधी!
केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार का वर्चस्व कायम हुआ है।इस बार बीजेपी की अगुवाई में एनडीए ने 352 सीट हासिल करके ऐतिहासिक जीत पाई है | वहीं इस बार के चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तीखी हार का सामना करना पड़ा | राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से हाथ धो बैठे | केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आखिरकार अमेठी को अपना बना ही लिया है | अमेठी में स्मृति की जीत पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके सभी प्रशंसक बेहद खुश है |
स्मृति ईरानी की इस जीत से राहुल को बहुत बड़ा झटका लगा है | राहुल गांधी के अमेठी से हारने की वजह साफ थी कि लोकल लेवल पर ज्यादातर लोग राहुल गांधी से खुश नहीं थे। लोगों का मानना है कि वे केवल अपने पिता राजीव गांधी के किए गए काम को ही भुनाते आ रहे थे। वहां के लोग मानते थे कि राहुल अमेठी में किसी भी तरह का विकास करा पाने में असफल रहे हैं और वह अपने पिता राजीव गांधी के किए गए कामों पर ही जीतते आ रहे थे।’
2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने 2019 में एक बार फिर राहुल गांधी को टक्कर देने की ठानी और गांधी परिवार के 50 साल पुराने गढ़ को जीत लिया। कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को हराने वाली वह पहली बीजेपी कैंडिडेट हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को स्मृति इरानी ने 55,120 वोटों से करारी शिकस्त दी है।
अमेठी का यूथ बदलाव चाहता था। एक तरफ जहां कांग्रेस पुरानी पीढ़ी के लोगों की पसंद बनी हुई है, तो वहीं युवाओं में बीजेपी को लेकर क्रेज है। युवा स्मृति इरानी और बीजेपी की जीत पर खुशी जाहिर कर रहे हैं। स्मृति को पसंद करने की एक और वजह यह भी है कि वह पिछले लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद भी यहां सक्रिय रहीं थी।