दस महीने की समय सीमा में दस रुपये के शुल्क में एक अरब की संपत्ति की प्राप्त
वर्ष 1928 में जब गोयल रियासत जनपद खीरी के तत्कालीन राजा युवराज दत्त सिंह ने अपने महल को किराए पर चढ़ाया था तब यही कभी भी नहीं सोचा था कि लगभग 1 शतक बाद उनका यह महल आरटीआई की एक मिसाल बन जाएगा वर्ष 1928 में राजा ने अपने महल को उस समय के डिप्टी कलेक्टर को 30 वर्ष के लिए किराए पर दिया था हिंदुस्तान के आजाद होने के बाद किराएदार पुनः 30 वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी राजा युवराज की मृत्यु वर्ष 1984 में हो गई उपरोक्त रियासत को राजा युवराज सिंह ने कई सौगात दी जिसमें प्रमुख से उनका इंटर कॉलेज है ऑल परिवार ने अपने पुश्तैनी महल के अभिलेखों की छानबीन शुरू की कई वर्ष तक उपरोक्त अभिलेख को ढूंढने का सिलसिला चलता रहा अत्यंत पूरे प्रकरण को कब्जे में लेते हुए राजा युवराज दत्त सिंह के पोते कुंवर प्रदुमन नारायण सिंह ने स्टार आरटीआई एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण के भेद एवं उस्तानी संपत्ति की समस्या समझाएं 2 साल की समय सीमा तय की गई लक्ष्य तय किया गया कि उपरोक्त संपत्ति में मूल अभिलेख को खोज लिया जाएगा इस क्रम में चार आरटीआई याचिका जिलाधिकारी कार्यालय मंडल आयुक्त कार्यालय वित्त विभाग एवं राजस्व परिषद के पार्टी बनाते हुए सूचना मांगी गई सारी आरटीआई धारा 63 के अंतर्गत जिलाधिकारी कार्यालय जनपद लखीमपुर खीरी को स्थानीय कर दी गई उपरांत रियासत के बड़े राजा विष्णु नारायण दत्त ने मीडिया से मुखातिब होते हुए अत्यंत प्रसन्नता जाहिर की एवं तहे दिल से जिलाधिकारी खीरी शैलेंद्र कुमार सिंह एवं इशारों कैप्टन एसपी दुबे का आभार व्यक्त किया इस अवसर पर युवरानी आराधना सिंह ने महिला सशक्तिकरण एवं मिशन शक्ति प्रोग्राम में अपना योगदान देने की बात कही रियासत के हरिनारायण सिंह ने पूरे प्रकरण पर जिलाधिकारी कार्यालय जनपद खीरी का धन्यवाद व्यक्त किया.