राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर पोखरियाल ‘निशंक’ ने कही ये बात
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि शिक्षा का सार तथ्यों का संग्रह ही नहीं बल्कि मन की एकाग्रता भी है और ऐसे में हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, ज्ञान की एकता एवं अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी तथा खेल जैसे बहु-विषयक, बहु-आयामी और समग्र शिक्षा पर फोकस करती है।
डॉ निशंक ने आज रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूरमठ के दौरे पर अपने संबोधन में कहा कि यह बेहद हर्ष की बात है कि मठ द्वारा एक बेहतर दुनिया के निर्माण के मिशन के साथ-साथ राहत और पुनर्वास गतिविधियां तथा स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं। उन्होंने कहा,“मुझे पूरा विश्ववास है कि यहाँ के सभी शैक्षणिक केंद्र रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की विचारधारा के साथ निर्मित हैं, जिनमें वेदांत के शाश्वत सिद्धांत शामिल हैं, जो कि श्री रामकृष्ण परमहंस द्वारा अनुभव किए गए थे और जिसे स्वामी विवेकानंद द्वारा उजागर किया गया था।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “स्वामी विवेकानंद के बारे में सिर्फ इतना कहना ही पर्याप्त है कि वे भारतीय मूल्य प्रणाली और भारतीय ज्ञान प्रणाली के वास्तविक ब्रांड एम्बेसडर हैं तथा स्वयं में एक वैश्विक व्यवस्था के प्रतीक हैं। ऐसे में स्वामी विवेकानंद जी की विचारधारा को आत्मसात करते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी देश की शैक्षिक प्रणाली में एक अभूतपूर्व बदलाव की परिकल्पना करती है।”
एक आदर्श शिक्षा व्यवस्था की बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि किसी भी देश का आदर्श शैक्षिक ढांचा ऐसा होना चाहिए कि वह उन सभी युवा दिमागों को तैयार करे जो उनके भविष्य के नागरिक होंगे, जो उनके व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन को पूर्णता प्रदान करेंगे। इसी को ध्यान रखते हुए हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा प्रणाली के सभी चरणों में पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र में सुधार पर जोर देते हुए आजकल की रटंत विद्या की संस्कृति से दूर, शिक्षा प्रणाली को वास्तविक समझ की ओर ले जाने और सीखने की दिशा में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करती है। शिक्षा का उद्देश्य न केवल संज्ञानात्मक विकास होगा, बल्कि यह चरित्र का निर्माण और 21 वीं शताब्दी के प्रमुख कौशल से युक्त समग्र और परिपूर्ण व्यक्तियों का निर्माण करेगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए उन्होनें कहा,“इस नीति के माध्यम से शिक्षा के सभी चरणों में मानक शिक्षाशास्त्र के तौर पर, विषयवार और विभिन्न विषयों के आपसी संबंधों की पड़ताल कर अनुभव-आधारित शिक्षा को अपनाया जाएगा जिसमें शिक्षा-शास्त्र की अन्य पद्धतियों के अतिरिक्त, हाथ से सीखने, कला-एकीकृत और खेल-एकीकृत शिक्षा, कहानी कथन-आधारित शिक्षाशास्त्र भी शामिल होंगे। शिक्षण परिणामों की उपलब्धि में आए अंतर को समाप्त करने के लिए, कक्षागत विमर्श में योग्यता आधारित अधिगम एवं शिक्षा की ओर बदलाव किया जाएगा. मूल्यांकन उपकरणों को भी निर्धारित कक्षा के प्रत्येक विषय के लिए निर्दिष्ट किए गए अधिगम परिणामों, क्षमताओं और निपटान के साथ जोड़ा जाएगा।”
डॉ निशंक ने कहा,“ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के इस युग में शिक्षा-प्राप्ति के वास्तविक लक्ष्य अर्थात इसी संसार में रहकर अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानते हुए अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करें। मुझे यकीन है कि यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन के साथ न केवल अपने देश के विद्यार्थियों को बल्कि पूरे विश्व में समग्र शिक्षा के लक्ष्य को पूरा करेगी; ताकि हमारा देश भारत पुनः विश्व गुरु बन सके।”