भीलवाड़ा के सहाड़ा में उप चुनाव की हलचल तेज़
भीलवाड़ा, राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा विधानसभा से तीन बार कांग्रेस विधायक रहे कैलाश त्रिवेदी की क़ोरोना से हुयी मौत के बाद अब क्षेत्र में उपचुनाव की हलचल तेज़ हो गयी हैं। दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ प्रत्याशी चयन को लेकर ऊहापोह की स्थिति में है। विधायक की पत्नी गायत्री और पुत्र रणदीप अलावा भाई राजेंद्र तीनो सहानुभूति की लहर पर सवार होकर कांग्रेस संगठन पर टिकिट के लिये दबाव बना रहे हैं।
उधर भाजपा के पास रण में हारे दो जाट नेताओं डा. रतन लाल जाट और रूपलाल जाट के अलावा कोई दमदार चेहरा नहीं है जो कांग्रेस राज में यह सीट भाजपा के खाते में ला सके। रूप लाल जाट पंचायत चुनाव में एक फ़ोन काल के आडियो के वायरल हो जाने के बाद विवादों में आ गये थे उन पर पूर्व सचेतक कालू लाल गुर्जर ने आड़ियो के ज़रिये गम्भीर आरोप लगाये थे जो पार्टी मुख्यालय तक भी पहुँचे थे। गुर्जर स्वयं भी यहाँ से उपचुनाव लड़ने को इच्छुक है ।
सत्ताधारी पार्टी ने अपने दो प्रमुख क्षत्रप काबिना मंत्री रघु शर्मा और राजपूत नेता धर्मेन्द्र राठौड़ (बानसूर) को सहाड़ा की कमान सोंप रखी है तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी यहाँ सीधी निगाह रखे हुये है ।
कांग्रेस का गढ़ रहे सहाड़ा क्षेत्र में आज़ादी के बाद बीते सत्तर साल में छह बार जाट नेताओं जवाहर मल जाट (कांग्रेस) दो बार तथा रामचंद्र जाट, डा. रतनलाल जाट और उनके भाई बालूराम ने विधानसभा में ग़ैर कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में उपस्थिति दर्ज करायी। ब्राह्मण समाज से कांग्रेस के रामपाल उपाध्याय और कैलाश त्रिवेदी ने यहाँ से तीन -तीन बार विधानसभा में दस्तक दी ।
ढाई लाख मतदाताओं वाले सहाड़ा क्षेत्र में पच्चीस प्रतिशत मत अनुसूचित जाति – जन जाति के हैं जिसे आज तक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। तीन भागों में बंटी इस सीट में सहाड़ा और रायपुर में पचास हज़ार जाट मतदाता प्रभावशाली हैं जिनके साथ पंद्रह हज़ार से अधिक राजपूत मतदाताओं के जोड़ से भाजपा के डा. रतनलाल जाट और रूपलाल जाट यहाँ प्रभावी भूमिका में रहे है ।
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इस क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या बल वाले ब्राह्मण मतदाता परम्परागत कांग्रेस के साथ माने जाते हैं, इस कारण सत्तारूढ़ दल कांग्रेस यहां प्रत्याशी की तलाश में हैं पर त्रिवेदी परिवार में चाचा भतीजे के बीच टिकिट की लड़ाई सड़कों तक आ जाने के बाद परिवारवाद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठने लगी है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस सीट से ब्राह्मण तभी जीत सकता है जब राजपूत मतदाता कांग्रेस का साथ दे। गत बीस सालों से ठिकानों के राजपूत यहाँ भाजपा का साथ देते आये है ।
साल 2018 विस चुनाव में कांग्रेस के कैलाश त्रिवेदी यहाँ केवल इसलिए चुनाव जीत पाये थे की क्षेत्र के उपेक्षित लोगों के प्रतिनिधि के रूप में यहाँ से लादूलाल पितलिया (जैन) ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वह बड़ी राशि ख़र्च करके साढ़े तीस हज़ार वोट ले गये। अब भाजपा की नज़र इन्हीं लादू लाल पितलिया पर है जिसे सतीश पूनिया ने अभी 10 फ़रवरी को जयपुर बुलाकर भाजपा की सदस्यता दिलवायी है। पार्टी उसमें उपचुनाव की जीत की सम्भावना देख रही है। चेन्नई में व्यापार करने वाले नाथडियास निवासी पितलिया ने राम मंदिर निर्माण के लिए 41 लाख रुपए का चंदा देकर अपना चुनाव लड़ने का संकल्प और इरादे जगज़ाहिर कर रखे हैं।
कांग्रेस में स्व. कैलाश त्रिवेदी की विधवा गायत्री देवी अपने और बेटे रणदीप के लिए टिकिट माँग रही है तो उनके राजनीति से जुड़े उनके देवर राजेंद्र त्रिवेदी भी ज़िला कांग्रेस कमेटी के ज़रिये इस समर के योद्धा बनना चाहते है । चर्चा में एक नाम विधान सभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी के पुत्र हिमांशु जोशी का भी है जिस पर अंतिम समय में कांग्रेस के सभी गुटों की सर्वसम्मति सम्भावित है । गंगापुर की नगरपालिका में अभी ताज़ा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के एक पार्षद दिनेश तेली को कांग्रेस की सदस्यता दिलाकर सभापति बनाने में सफलता हांसिल की है पर उप सभापति के चुनाव में उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा ।