जाने क्यों किसानो को लालकिले पर फहराना था निशान साहिब का झंडा, क्या है इस झंडे का अर्थ
72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन (Kisan andolan) कर रहे किसान अलग-अलग बॉर्डर से राजधानी दिल्ली में दाखिल हुए थे। वही अलग-अलग हिस्सों से किसान और पुलिस के बीच कल यानि गणतंत्र दिवस के दिन काफी झड़प देखने को मिली है और जबरन बैरिकेड टूटने की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं। इसी बीच सिख किसानों ने विरोध करते हुए अपना धार्मिक ध्वज ‘निशान साहिब’ (Nishan Sahib) लाल किले पर उस जगह लगा दिया जहां से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री झंडारोहण करते हैं।
क्या है निशान साहिब का इतिहास ?
निशान साहिब सिख धर्म के लोगों का एक पवित्र ध्वज है। यह त्रिकोणीय ध्वज कपास या रेशम के कपड़े का बना होता है। इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है। इस झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न भी होता है। झंडे नील रंग का होता है। जिस ध्वजडंड पर इसे फहराया जाता है, उसमें भी ऊपर की तरफ दोधारी तलवार होता है. ध्वजडंड झंडे की मौजूदगी इस बात का प्रतीक है कि सिख के अलावा किसी भी धर्म का व्यक्ति धार्मिक स्थल में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र है और बिना किसी रुकावट ईश्वर की आराधना कर सकता है।
निशान साहिब को खालसा पंथ का परंपरागत चिह्न माना जाता है। गुरुद्वारे के शीर्ष या ऊंचाई पर फहराए जाने की वजह से इसे दूर से ही देखा जा सकता है। निशान साहिब को खालसा पंथ की मौजूदगी का प्रतीक माना जाता है। बैसाखी के शुभ अवसर पर इसे नीचे उतार लिया जाता है और दूध-जल से पवित्र किया जाता है। वही सिख धर्म में निशान साहिब का बहुत सम्मानित स्थान है और इसे बहुत सम्मान के साथ रखा जाता है।