यूजीसी के चेयरमैन ने भारतीय शिक्षा को लेकर कही ये बड़ी बात, जानिए क्या
मथुरा: मथुरा के जीएलए विश्वविद्यालय, के नौंवे दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा ने दुनिया को हमेशा रास्ता दिखाया है।
उन्होंने छात्रों से कहा कि ग्रहण की गई शिक्षा उनकी विरासत है। यही आगे चलकर पहचान बनाएगी। उन्होंने उपाधिधारकों से उत्साह के साथ इसका उपयोग करने की सलाह देते हुए उनसे देश के समग्र विकास में अपना योगदान देनें का आह्वान किया ।
प्रो. सिंह ने कहा कि देश कोविड-19 के कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि नए ऑनलाइन मिश्रित शिक्षण और अध्ययन ने शिक्षा को परिवर्तन के नए डिजिटल युग में ला दिया है। छात्रों ने भी यह कठिन दौर को आशावादी रूप से पार कर लिया है क्योंकि दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में युवा विद्यार्थी भारत में हैं।
उन्होंने डिग्री धारकों और पदक हासिल करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण दिवस है और उनके विकास लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
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उन्होंने नई शिक्षा नीति पर जोर देते हुए डिग्रीधारकों से कहा कि आखिरकार नई शिक्षा नीति पेश की गई है। एनईपी 2020, 1986 की पिछली नई शिक्षा नीति की स्थान पर आई है। यह नीति पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने का इरादा रखती है। यही नहीं बल्कि यह नीति उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के पदचिह्नों के लिए रोडमैप तैयार करती है।
प्रो0 सिंह ने स्वामी विवेकानंद पर भी अपने विचार प्रकट किए, साथ ही पं. मदन मोहन मालवीय पर अपने विचार प्रकट करते हुए बनारस हिन्दू विष्वविद्यालय का भी जिक्र किया।
यूजीसी के चेयरमैन ने कहा कि जानकारी के अनुसार जीएलए विश्वविद्यालय का अपना न्यू जेनरेशन इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट सेंटर है, जिसका उद्देश्य युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी छात्रों के बीच नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को विकसित करना है।
इसके माध्यम से स्टार्ट-अप निर्माण को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना है। विश्वविद्यालय ने रिसर्च के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है और आत्मनिर्भर भारत में भागीदारी की है।
उन्होंने अंत में जीएलए द्वारा आसपास के 5 गांवों को गोद लेकर कई गांवों के हजारों बच्चों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण बदलाव करने के लिए साधुवाद दिया और आशा व्यक्त की कि इससे बच्चों में बेहतर स्वच्छता, बेहतर स्कूली शिक्षा, बेहतर पानी की सुविधा, उनकी गुणवत्ता और प्रकृति के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता प्राप्त हुई होगी।
प्रतिकुलाधिपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने दीक्षांत संबोधन में कहा कि विद्यार्थी सिर्फ पाठ्यक्रम से ही नहीं सीखता बल्कि एक अच्छे शिक्षक व संस्थान से शिक्षा ग्रहण करने पर अच्छे शिक्षक के आचार विचार व संस्थान के नियम विद्यार्थी के संस्कारों में विशेष योगदान डालते हैं। शिक्षा की भूख विद्यार्थी की प्रगति में चार चांद लगाती है।
उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व में आईटी के क्षेत्र में उच्च स्थान बना रखा है, जिसमें भारत ईकोलाॅजिक सिस्टम में तीसरे पायदान पर हैं और सात यूनिकाॅर्न बना दिए हैं। इसी के साथ देश में जीएसटी, आधार एवं सरकारी योजनाएं सभी साॅफ्टवेयर के माध्यम से संचालित हो रही हैं।
कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल ने 18 छात्रों को गोल्ड मेडल से ,प्रतिकुलाधिपति ने भी 18 छात्रों को सिल्वर मेडल से नवाजा। दीक्षांत समारोह में स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की कुल 2924 उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा 54 छात्रों को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।