Prayagraj : माघ मेले की तैयारियों पर सामने आई ये खामियां
Prayagraj: पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और पौराणिक सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर मकर संक्रांति से लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक माघ मेला में कल्पवास करने वाले कल्पवासी पहुंच रहे हैं.
जबकि मेला प्रशासन अभी भी भूमि आवंटन और सुविधा पर्ची के चक्कर में फंसा है।
कल्पवासी अपने ही संसाधनों के सहारे ठहरने की कर रहे हैं व्यवस्था
तीर्थ पुरोहित राजेन्द्र पालीवाल ने बताया कि कुछ कल्पवासी पिछले रविवार(प्रदोष) से कल्पवास करने के लिए मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं।
संगम की रेती पर पहुंचने वाले लोग अपने ही संसाधनों के सहारे ठहरने की व्यवस्था कर रहे हैं।
पुरोहितों को भूमि नहीं की गई आवंटित
- तीर्थ पुरोहित मेला प्रशासन से लगातार आग्रह कर रहा था.
- कल्पवासियों को बसाने का काम तीर्थ पुरोहित करते हैं लिहाजा उनको भूमि का आवंटन पहले किया जाए,
- लेकिन अभी भी पूरी तरह तीर्थ पुरोहितों को भूमि का आवंटन नहीं हुआ है।
- भूमि का आवंटन नहीं होने से कल्पवासी कहां ठहरेंगे, लिहाजा कल्पवास करने वालो को तो समस्या पैदा होगी ।
माघी पूर्णिमा तक करेंगे कल्पवास
पालीवाल ने कहा कि कुछ लोग संक्रांति से कल्पवास करते हैं और अधिकांश लोग पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं।
रविवार को प्रदोष का शुभ दिन था इसलिए संक्रंति से संक्राति तक कल्पवास करने वाले साधु-संत एवं कल्पवासी मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे।
उन्होने बताया कि इसमें मिथिला के लोग कल्पवास करते हैं।
इसमें बिहार और बंगाल के लोग भी होते हैं। बाकी के लोग पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्वास करते हैं।
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Prayagraj : पालीवाल ने बताया कि अभी तक एक भी शिवर ऐसा नहीं है जहां पर मेला प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गयी हो।
भूमि आवंटन के बाद अब तक मेला कार्यालय में सुविधा पर्ची (slip) को लेकर मामला चल रहा है।
Prayagraj माघ मेला में कुल छह स्नान पर्व हाेते हैं।
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पहला स्नान पर्व:-14 जनवरी- (मकर संक्रांति)
- दूसरा स्नान पर्व:-28 जनवरी(पौष पूर्णिमा)
- तीसरा स्नान पर्व:- 11 फरवरी-(मौनी अमावस्या)
- चौथा 16 फरवरी:-(बसंत पंचमी),
- पांचवा स्नान पर्व:- 27 फरवरी :-(माघी पूर्णिमा) तथा
- छठा और अंतिम स्नान पर्व:- 11 मार्च:-(महाशिवरात्रि) को होगा।