कोविड संकट की तरह दुनिया को जल संकट का सामना करने के लिए होना होगा एकजुट- गजेंद्र सिंह शेखावत
नई दिल्ली। 5वें भारत जल प्रभाव सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्व को ठीक उसी तरह से एकजुट होकर साथ आने की आवश्यकता है जैसी एकजुटता दुनिया ने कोविड-19 महामारी का सामना करने में दिखाई है।
भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन आज चर्चा का केंद्र बिंदु “नदी संरक्षण समन्वित नौपरिवहन और बाढ़ प्रबंधन” रहा। इस सम्मेलन को वैचारिक कुम्भ की संज्ञा देते हुए केंद्रीय मंत्री ने रेखांकित किया कि जल प्रबंधन एवं नदी प्रबंधन के लिए विश्व के विभिन्न देशों और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने हेतु यह सम्मेलन निवेशकों और जल क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों के बीच व्यापक विचार-विमर्श का अवसर उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है और यह हमारी प्रतिबद्धता है कि अर्जित ज्ञान और अवधारणाओं को व्यवहार में लाने का प्रयत्न किया जाएगा। इस समय जितनी राजनीतिक इच्छा शक्ति और दृढ़ता पहले कभी नहीं थी, इसे अकादमिक संस्थानों और स्वयं सहायता समूहों का भी साथ मिल रहा है।
भूजल के विषय में बात करते हुए शेखावत ने कहा कि हम दुनिया में सबसे अधिक भूजल का उपयोग करने वाले देशों में आते हैं। हम इस पर निर्भरता को कम करने के लिए प्रयासरत हैं। भूगर्भ में मौजूद जल का पता लगाने और भूजल को संरक्षित करने के लिए शुरू की गई पहल ‘अटल भूजल योजना’ पर विश्व बैंक के सगयोग से हम काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना को आरंभ किए जाने का मुख्य उद्देश्य भूजल प्रबंधन के लिए ढांचागत स्वरूप को सशक्त करने और 7 राज्यों में भूजल श्रोतों को टिकाऊ बनाने के लिए समुदाय स्तर पर व्यवहारगत बदलाव था। उन्होंने आगे कहा कि यह योजना पंचायत स्तर पर समुदायिक व्यवहारगत बदलाव को प्रोत्साहित करेगी और विशेष ज़ोर मांग से जुड़े प्रबंधन पर होगा। इस सम्मेलन में जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया भी उपस्थित थे।