सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे, दिया पूर्ण समर्थन
बादली, 16 दिसंबर। सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा आज फिर आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे और 3 कृषि कानूनों के खिलाफ बादली-दिल्ली की ढासा बॉर्डर पर चल रहे धरने में शामिल होकर उनको अपना पूर्ण समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि किसान जो भी आदेश करेंगे वे उसका पालन करेंगे। इस दौरान बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आवाज़ दबाना चाहती है। उसके पास किसानों के सवालों का कोई जवाब नहीं है, यही कारण है कि संसद का शीतकालीन सत्र रद्द करके वो चर्चा से भाग रही है। उन्होंने कहा कि संसद ही एक ऐसा मंच है जहां कोई भी जनप्रतिनिधि आम जनता की आवाज़ उठा सकता है। लोकतंत्र में इतनी गुंजाइश होनी चाहिए कि सरकार विपक्ष की भी आवाज़ सुने। संसद सत्र रद्द करने का सरकार का यह कदम लोकतंत्र के लिये अच्छा संकेत नहीं है।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि व्यापारी के व्यापार, नौजवान के रोजगार, मजदूर की मजदूरी पर चोट मारने के बाद अब सरकार की टेढ़ी नजर किसान और कृषि पर है। पहले तो सरकार ने बहुमत के घमंड में सारी संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं को दरकिनार कर बिना सलाह-मश्विरा और बिना चर्चा के ध्वनिमत से तीन कृषि बिल पास करा लिया। जबकि यह सर्वविदित है कि उस दिन सत्तारुढ़ दल के पास बहुमत नहीं था। सरकार ने पहले ही यदि खुले मन से विचार किया होता तो आज ये स्थिति नहीं होती और किसानों को इस कड़ाके की सर्दी में सड़कों पर विरोध नहीं करना पड़ता। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना की आड़ में संसद का शीतकालीन सत्र रद्द कर सरकार फिर से उसी गलती को दोहरा रही है और देश की ज्वलंत समस्याओं पर विचार करने से कतरा रही है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा के नेता चुनाव के लिये रैलियां कर रहे हैं तो फिर संसद में आने से क्यों डर रहे हैं।