हाईकोर्ट ने घटिया चावल की आपूर्ति मामले में लगी जनहित याचिका को किया खारिज
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर ने कोरोना काल में राज्य के गरीबों को राशन के घटिया चावल वितरित किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका गुरुवार को खारिज कर दिया, एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पूर्व में बहस पूरी होने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था, उस आदेश को आज सुनाया गया, जिसमें साफ किया गया कि केंद्र सरकार का खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहा है।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे ने बताया कि ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा और उन्होंने दलील दिया कि जुलाई व अगस्त 2020 में मध्य प्रदेश के गरीबों को राशन के बेहद घटिया चावल बांटे गए. इस तरह जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया. जिसे गंभीरता से लेते हुए शासन को मुआवजा वितरण किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए इम्युनिटी पर विशेष जोर था, दलील दी गई कि खराब चावल खाकर गरीबों की इम्युनिटी कैसे बढ़ेगी, इतनी बड़ी हद दर्जे की लापरवाही सामने आने के बावजूद महज रस्म अदायगी बतौर बालाघाट व मंडला के चंद छोटे कर्मियों पर कार्रवाई की गई, जबकि राज्य भर के बड़े लापरवाह अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई और न्यायालय से आग्रह किया गया कि मध्य प्रदेश के बाहर की निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए, क्योंकि भारत सरकार ने भी शिकायत को गंभीरता से लेकर जांच कराई और वितरित किया गया चावल घटिया पाया था ।
इसके बाद मामला ईओडब्ल्यू को सौंपा भी गया, लेकिन जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने 2 नवंबर को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था, जो गुरुवार 05 नवम्बर 20 को आदेश सुनाया गया, जिसमें साफ किया गया कि केंद्र शासन का खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहा है, लिहाजा जनहित याचिका बेमानी है, हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं समझता और जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया |