केंद्र की तरह मध्य प्रदेश में भी प्याज की स्टॉक लिमिट तय
भोपाल। त्योहारी सीजन में लगातार प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए प्रदेश सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला किया है। जमाखोरी और कालाबाजारी से बढ़े प्याज के दाम पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार ने भी प्याज की स्टॉक लिमिट तय कर दी है। सरकार का यह आदेश 31 दिसंबर 2020 तक प्रभावी रहेगा।
दरअसल प्रदेश सरकार ने आम जनता को राहत पहुंचाते हुए प्याज की स्टॉक सीमा तय कर दी है। प्याज व्यापारियों को रजिस्टर में हर दिन के स्टॉक का पूरा ब्यौरा रखना होगा। व्यापारियों को स्टॉक का पाक्षिक रिटर्न सरकार को देना होगा और ये बताना होगा कि उसके पास अब तक कितना प्याज आया, कितना अभी तक बेचा जा चुका है और कितना अभी स्टॉक में उपलब्ध है।
नियमानुसार थोक व्यापारी 250 क्विंटल और फुटकर व्यापारी 20 क्विंटल तक ही प्याज का स्टॉक रख सकेंगे। सरकार के इस फैसले से प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगने की संभावना है। हालांकि, ये स्टॉक लिमिट प्याज की खेती करने वाले किसानों पर लागू नहीं होगी। राजधानी भोपाल में रोजाना प्याज की आवक लगभग 180 मीट्रिक टन है। यहां 110 मीट्रिक टन प्याज नासिक से आ रही है, जबकि शेष प्याज प्रदेश के ही अलग-अलग जिलों से आ रही है। इन दिनों प्याज के बढ़ती हुई कीमतों के कारण जमाखोरी और कालाबाजारी जोरों से चल रही है।
फैसले से आम उपभोक्ता खुश
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के इस निर्णय से आम जनता ने राहत की सांस ली है। गृहणी श्वेता सिंह ने कहा कि प्याज के बिना सब्जी जैसे बेस्वादी लगती है, जब स्टाक लिमिट तय है तो मजबूरी में ही सही बाजार में प्याज की खूब उपलब्धता हो सकेगी, जिसके कारण आनेवाले दिनों में जल्द ही प्याज सस्ती मिलेगी। पिछले कई दिनों से तेज कीमतों के कारण से भरपूर प्याज सब्जी बनाते वक्त उपयोग नहीं कर पा रही थी, कम से कम कीमतों पर लगाम लगने से हमें कम कीमत की अब प्याज तो नसीब हो सकेगी। इसी तरह का सोचना गीता शर्मा, राहिणी खत्री और दिव्या ठाकरे का है। ये सभी सरकार के इस निर्णय से खुश हैं।
अब इतने घट सकते हैं दाम
नासिक की प्याज 35-40 रुपये प्रति किलो से घटकर 20-25 रुपये किलो हो सकती है। स्थानीय प्याज जो अभी 60 रुपए किलो चल रही है। इसके दाम भी 45 रुपये किलो तक आ सकते हैं। भोपाल में प्याज की रोजाना आवक 180 मीट्रिक टन है। इसमें 110 मीट्रिक टन प्याज नासिक से आ रही है। शेष प्याज मप्र के रतलाम, शाजापुर, शुजालपुर, आष्टा और ब्यावरा जैसे क्षेत्रों से हो रही है। मप्र की प्याज पूरी तरह से सूखी हुई है। इसलिए इसके दाम अभी ज्यादा चल रहे हैं।
प्रदेश में प्याज कीमते बढ़ने की ये है वजह
मध्य प्रदेश में इस साल प्याज का 40.82 लाख मीट्रिक टन का बंपर उत्पादन हुआ था। यह पिछले साल के मुकाबले 5 लाख टन अधिक ही था। जुलाई-अगस्त में लगाई गई 18 हजार मीट्रिक टन प्याज भी बाजार में आ गई थी। इसके बाद भी दाम बढ़ने की मुख्य वजह तेलंगाना व महाराष्ट्र के कई प्याज उत्पादक क्षेत्रों में तैयार फसल अतिवृष्टि से खराब होना रहा है । क्योंकि ऐसे में पूरे देश में प्याज की आपूर्ति मध्य प्रदेश से हो रही थी। परिणाम स्वरूप यहां दाम 40 से 70 रुपये किलो तक चले गए थे।