पंजाब में किसान आंदोलन जारी , पांच नवंबर को राष्ट्रव्यापी बंद
चंडीगढ़। पंजाब में केंद्रीय कृषि अधिनियमों के खिलाफ किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। किसान संगठनों ने पांच नवम्बर को देश भर में किये जाने वाले चक्का जाम की तैयारियों के लिए लामबंदी शुरू कर दी है। किसान नेता गांव -गांव जाकर बैठकें कर रहे हैं ताकि राष्ट्रीय मार्गों के साथ -साथ स्थानीय मार्गों को भी मुकम्मल बंद किया जा सके।
दूसरी तरफ इन आंदोलनों के साथ -साथ पंजाब में गैर -भाजपा दलों की राजनीतिक सरगर्मिया भी तेज़ होती जा रही हैं। चार नवम्बर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह विभिन्न दलों के शिष्टमंडल की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपति से मिलने जा रहे हैं। उनकी मांग है कि पंजाब विधान सभा द्वारा केंद्रीय कृषि अधिनियमों के खिलाफ पारित किये बिलों को राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति दें। पंजाब में मध्यावधि चुनावों की अटकलों को भी इसके साथ जोड़ कर देखा जा रहा है।
पंजाब में विधान सभा चुनावों को करीब सवा वर्ष बाकी है। फरवरी 2022 को विधान सभा चुनावों का समय है। परन्तु राज्य में चुनावी सक्रियता अभी से तेज़ हो गई है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। वास्तव में केंद्रीय कृषि अधिनियमों के बहाने कांग्रेस के हाथ ऐसा मुद्दा लगा है, जिसे कांग्रेस भुनाने के प्रयासों में है। भाजपा ने पंजाब में केंद्रीय कृषि अधिनियमों का पंजाबी अनुवाद अभी से बाँटना शुरू कर दिया है ताकि कृषि अधिनियमों पर वो अपनी स्थिति साफ़ कर सके। परन्तु भाजपा के पास राज्य में न तो अभी पूरा आधारभूत ढांचा है और न ही पूरे नेता।
राज्य में किसान आंदोलन भी तेज़ हो रहा है। पंजाब के बिजली घरों और खेतों के लिए खाद का भंडार भी समाप्त होने को है लेकिन किसान अभी भी रेल लाइनों पर धरने लगाए बैठे हैं। केंद्रीय कृषि अधिनियमों के बाद प्रदूषण और कृषि ऋण को लेकर केंद्र द्वारा जारी आर्डिनेंस के बाद किसान आंदोलन के फिलहाल थमने की उम्मीद नहीं है। कांग्रेस इस विरोध से फायदे में है। किसानों ने इस आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया है।
भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां द्वारा बीते कल राज्य में 65 स्थानों पर धरने दिए जो आज भी जारी थे। यूनियन 5 नवम्बर को राज्य में 24 स्थानों पर चक्का जाम करेगी। हालांकि किसान आंदोलन को पहले -पहल किसान संगठन एक -राय होकर चला रहे थे लेकिन वक्त गुजरते ही कुछ संगठन अलग चल रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी भी इस सन्दर्भ में बैठक कर रही है। तीन नवम्बर को पंजाब के अटॉर्नी जनरल के साथ किसान नेताओं की चर्चा होनी है।
दूसरी और आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रपति से मिलने वाले शिष्टमंडल से खुद को अलग कर लिया है। अब 4 नवम्बर को ‘आप ‘ शिष्टमंडल का हिस्सा नहीं होगी।