जंग का मैदान बन गया सोशल मीडिया का प्लेटफार्म…
– साम्प्रदायिकता फैलाने का सुलभ स्थान बना शोसल मीडिया का प्लेटफार्म फेक न्यूज फैलाकर युवा नस्लों में भरा जा रहा है नफरत का गुबार
– हिंदू मुस्लमान और मजहब के नाम पर खुलेआम फैलाई जा रही है अराजक्ता व्यक्तिगत विचारों को केंद्र में रखकर किया जाता है अभद्र भाषा का उपयोग
– राम रहमान का किया जा रहा है बटवारा फेसबुक व्हाट्सएप और ट्विटर की दीवारों पर नफरत देती रहती है अपनी दस्तक
– मेरा धर्म और तेरी कौम पर लड़ते दिखाई देतें हैं देश के नौजवान भाइचारे की बात करने वालों को पाकिस्तान जाने की दे दी जाती है नसीहत
– वास्तविक मुद्दों से भटक चुका है नौजवान हिंदुस्तान राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आईटी सेल द्वारा युवाओं को बनाया जा रहा है वैचारिक आतंकवाद का शिकार
महोबा : शोसल मीडिया का उपयोग अब असामाजिक रूप से साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए किया और कराया जाने लगा है। ट्विटर व्हाटसएप और पब्लिक फिंगर के रूप में ख्याति अर्जित करने वाली फेसबुक का दुरूपयोग असामाजिक रूप से किया जा रहा है। वर्तमान समय की अगर बात की जाए तो भाइचारे और विकास जैसे अहम मुद्दों पर कम और राम रहमान को केंद्र बिंदु पर रखकर अभद्र भाषा का उपयोग मूलरूप से किया और कराया जाने लगा है। 16 से 24 वर्ष के युवाओं को इन शोसल प्लेटफार्मो के माध्यम से वैचारिक आतंकवाद की ओर धकेला जा रहा है और हम आप मूकदर्शक बने इन समस्त गतिविधियों का तनिक मात्र भी विरोध करना उचित तक नही समझ रहें हैं ।
धर्म के ध्वजा वाहक और कौम के विशेष नुमाइंदों द्वारा की जाने वाली तीखा टिप्पड़ी बहस से सुरू होकर कब शाब्दिक अभद्रता के पथ पर अग्रसर हो जाती है इस बात का आंकलन न तो कौम और धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है और न ही उस व्यक्ति द्वारा जो इस पूरी गतिविधि को व्यंजन समझ कर उससे अपना मनोरंजन कर रहा होता है। शोसल मीडिया के नाम से पहचान बना चुकी ये इंटरनेट साइटें वर्तमान काल में रण की पृष्टभूमि मानी और समझी जाने लगीं हैं। तर्क वितर्क से सुसज्जित इस रणभूमि में विध्वंसक और महाविनाशक माने जाने वाला परमाणु का उपयोग नही बल्कि व्यक्ति विशेष की निजिता पर शाब्दिक प्रहार किए और कराए जातें हैं। कोरोना महामारी फैलने के चलते जहां अधिकांश देशों में पुनः लॉक-डाउन होने के आसार नजर आ रहें है वहीं तनिक मात्र भाइचारे की बात करने पर मानसिक रूप से आतंकवाद के पथ पर अग्रसर हो चुके व्यक्तियों द्वारा तत्काल आपको देश द्रोही का तमगा थमाते हुए पाकिस्तान चले जाने की सलाह दे दी जाती है वो भी मुफ्त में। इतना जहर और इतनी नफरत न तो देश के लिए किसी भी दृष्टिकोण से सिद्धांतवादी और लाभप्रद कही जा सकती है और न ही देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा वर्ग के लिए।
शोसल मीडिया का निर्माण सिर्फ सामाजिक दायरा बढ़ाने के लिए किया गया था। अत्याधुनिक माना जाने वाला ये प्लेटफार्म देश विदेशों से युवा वर्ग को जोड़कर उनको विज्ञान शिक्षा और प्रगति की नई दिशा देने के लिए बनाया गया था न की असामाजिक्ता और सांमप्रदायिक्ता फैलाने के लिए। देश के अधिकांश युवाओं द्वारा आज के दौर में इस प्लेटफार्म का उपयोग न तो सही रूप से किया जा रहा है और न ही उनकी मदभेद से भरी हुई वैचारिक विचारधारा बदलने पर कोई प्रयास किसी भी वर्ग द्वारा किए और कराए जा रहें हैं। वास्तविक हालातों को देखते हुए आने वाले भविष्य का अनुमान लगाना कदापि कठिन नही माना जाना चाहिए जब युवा कहा जाने वाला ये वर्ग आत्मधाती बनकर देश में बढ़ने वाली अराजक्ता को जन्म देने में अपना अहम योगदान प्रदान करेगा । अभी भी वख्त है सामप्रदायिक्ता फैलाने वालो से इस युवा भारत के भविष्य को उसी प्रकार से दूरी बना लेना उचित होगा जैसे की कोरोना से आम जनता द्वारा बनाई जा रही है। कुपोषित मानसिकता के धनी और अराजक्ता के अंधकार में धकेल कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाले युवाओं का भविष्य खराब ही करेंगें न की बनाने में उनको सहयोग देंगे।