केवल ट्यूशन फीस वसूले जाने की मांग, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- रियायत मिलना अधिकार नहीं
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि रियायत मिलना अधिकार नहीं है। यूनिवर्सिटी की ओर से केवल ट्यूशन फीस वसूले जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये बातें कही। चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने संबंधित विभागों को इस मांग पर कानून के मुताबिक विचार करने का आदेश दिया।
याचिका लॉ स्टूडेंट रामे कृषण राणा ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील कुश शर्मा ने कहा कि यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी की तरह की संस्थाएं छात्रों से केवल ट्यूशन फीस वसूले। याचिका में कहा गया था कि यूनिवर्सिटीज को ट्यूशन फीस किश्तों में या मासिक आधार पर वसूलने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रियायत पाना अधिकार नहीं है। ये छात्रों का मामला है नहीं तो हम याचिका खारिज कर देते। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कोरोना की वजह से पूरे देश में अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। अभिभावकों का रोजगार खत्म हो गया है। जिनका रोजगार बचा हुआ है उनकी सैलरी काट कर दी जा रही है। ऐसे में अभिभावक छात्रों की फीस जमा कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।
याचिका में कहा गया था कि उन छात्रों के अभिभावकों को ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जो निजी संस्थानों या डीम्ड यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे हैं। निजी संस्थान और डीम्ड यूनिवर्सिटीज काफी ज्यादा फीस वसूलते हैं। याचिका में कहा गया था कि कोर्ट यूनिवर्सिटीज और निजी संस्थानों को निर्देश दे कि वे आनलाइन क्लासेज के लिए छात्रों को गैजेट्स, 4जी इंटरनेट का पैक मुहैया कराए। छात्रों को शिक्षण सामग्री पेन ड्राइव में उपलब्ध कराए जाएं।