कोरोना संक्रमण से बचाव का उपाय हमारी प्राचीन जीवनशैली : सत्य गिरी
प्रयागराज। कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय हमारे देश की संस्कृति और जीवन शैली के अभिन्न अंग रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में नियमित जीवन शैली तथा स्वस्थ दिनचर्या का विस्तार पूर्वक वर्णन है।
यह विचार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सचिव तथा श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री सत्य गिरी महाराज ने व्यक्त किया। वह रविवार को दांदूपुर स्थित समदरिया स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन में औपचारिक यात्रा भ्रमण के दौरान पहुंचे थे। उन्होंने विद्यालय के सुंदर वातावरण और कुशल संचालन के लिए विद्यालय प्रबंधन को बधाई दी तथा वर्तमान त्रासदी कोविड-19 से बचाव के लिए आवश्यक सुझाव भी दिए।
वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि संक्रमण और महामारियों से बचने के लिए ऋषियों और महात्माओं ने सदैव धार्मिक, सामाजिक जैसे परम्परागत उपायों का सहारा लिया है। लेकिन, आज तथाकथित लोगों ने इसमें प्रामाणिकता का अभाव कहकर समाज को दिग्भ्रमित किया। परिणामस्वरुप पश्चिमी चकाचौंध के चलते हमारी पारम्परिक जीवन शैली में विकृति आ रही है जो भविष्य के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन और दवाइयों से कहीं ज्यादा मददगार हमारी प्राचीन जीवन शैली है, जिसे पुनः अपनाना होगा। अस्थमा जैसी पुरानी और महत्वपूर्ण बीमारी का भारतीय चिकित्सक आज तक इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं।
इतिहास की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार से कई महामारियों ने अलग-अलग समय में मानव जाति का संहार किया है। 1918 में स्पेनिश फ्लू से पूरे विश्व में करीब पांच करोड़ लोग जिसमें सिर्फ भारत से ही डेढ़ करोड़ के लगभग लोग मारे गए थे। उस समय भी लाॅकडाउन, आइसोलेशन और शारीरिक दूरी ही बचाव का प्रमुख उपाय बना था। विज्ञान उस समय भी मूकदर्शी था और आज भी है। कोरोना से घबराने की नहीं बल्कि वैदिक परंपराओं से जुड़ने की जरूरत है।
इस दौरान लोगों ने सत्य गिरी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा अंगवस्त्रम व श्रीफल भेंट किया। उपस्थित प्रमुख लोगों में संस्थान के निदेशक डॉ. मणि शंकर द्विवेदी, डॉ. अंबिका पांडेय, डॉ. मधुकराचार्य त्रिपाठी, डॉ. जेपी सिंह, पीके तिवारी, दिनेश मिश्र, पं रामनारायण मिश्र, विनीत पांडेय आदि लोग रहे।