चिदंबरम ने सरकार पर एपीएमसी को लेकर दोहरी नीति अपनाने का लगाया आरोप
नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार द्वारा लाए कृषि विधेयकों को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) को बेकार बता रही है और दूसरी ओर इसे बंद करने को भी तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी नीतियों में स्पष्टता रखते हुए एकमत फैसला लेना चाहिए, जिससे किसानों में साफ संदेश जा सके।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिंदबरम ने गुरुवार को ट्वीट कर गृहमंत्री अमित शाह और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत से सवाल किया है कि यदि उन्हें एपीएमसी से समस्या हो तो फिर सरकार इसका संरक्षण क्यों कर रही है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, “गृहमंत्री और नीति आयोग के सीईओ एपीएमसी के कामकाज को रद्दी समझते हैं, और उन्हें ‘राज्य प्रायोजित सेंधमार’ कहते हैं। यदि ऐसा है, तो कृषि मंत्री एपीएमसी का बचाव क्यों कर रहे हैं। वह यह क्यों कह रहे हैं कि ये पहले की तरह काम करते रहेंगे?” उन्होंने कहा कि यह नीति सरकार के टू-इन-वन सोच का एक और उदाहरण है।
दरअसल, बीते दिन अमित शाह ने संसद से पारित कृषि विधेयकों पर कहा था कि किसानों को लुभाने वाली घोषणाओं के बजाय प्रधानमंत्री का जोर कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर है। सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है। इसी दिशा में कृषि विधेयक लाए गए हैं। इससे किसानों को सीमित बाजार के बजाय राष्ट्रीय बाजार का अवसर मिलेगा तथा बिचौलियों से मुक्ति भी मिलेगी। इस तरह सही मायने में ‘एक देश-एक बाजार’ का सपना पूरा होगा और किसान अपनी इच्छानुसार मूल्य पर उपज बेच सकेगा।
वहीं, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा था कि मौजूदा कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियमों के तहत, सभी कृषि उपज को मंडियों के माध्यम से खरीदा जाता है, जहां किसान अपनी उपज लेकर आते हैं। शुरुआत में किसानों के संरक्षण के लिए शुरू की गई इन मंडियों का बाद में स्थानीय एकाधिकार हो गया। नीलामी के जरिए पारदर्शी कीमत तय करने वाली व्यवस्था की जगह मिलीभगत और मूल्य निर्धारण ने ले ली। ऐसे में किसानों को बचाने के लिए बनाए गए तंत्र ने ही उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार कृषि विधेयक लेकर आई है।
इससे इतर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार कहते रहे हैं कि एपीएमसी को राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है। हमारा बिल इसे बंद नहीं कर सकता है और हम ऐसा करने का इरादा भी नहीं रखते हैं। हमारा कानून कहता है कि एपीएमसी मंडियों के बाहर का व्यापार क्षेत्र टैक्स से मुक्त होगा। किसानों को यह चुनने की स्वतंत्रता होगी कि वे कहां बेचना चाहते हैं।