आख़िर सजा देगा कौन…
- निलंबित आईपीएस मणीलाल पाटीदार को अब तक नही किया गया है गिरफ्तार कार्यवाही के नाम पर भेजें जा रहें हैं सिर्फ नोटिस
- विवेचना के नाम पर की जा रही है खुलेआम गुंडागर्दी अंधेरी रात में घर के दरवाजे तोड़कर खाकी द्वारा किया जा रहा है बाहुबल का प्रदर्शन
- छोटे अपराध में परिजनों को उठा लेने वाली पुलिस द्वारा दिया जा रहा है पाटीदार को अभयदान इन्द्रकांत हत्याकांड में मणीलाल हैं मुख्य आरोपी
- महाभारत के धनुर्धारी के मामले में खाकी ने अब तक साधी हुई है चुप्पी आखिर किन कारणों के चलते सिंह साहब और उनके बयानों को छिपाने की अब तक की जा रही है सोंची समझी साजिश ?
- राजावत सिपाही निलंबित कप्तान तत्कालीन थानाध्यक्ष की सीडीआर पर क्यो नही की जा रही है खुलकर बात क्या शाम दाम दण्ड भेद का सहारा लेकर पाटीदार पर बनाया जा रहा है विशेष आशीर्वाद ?
महोबा : इन्द्रकांत हत्याकांड के मुख्य आरोपी निलंबित आईपीएस मणीलाल पाटीदार को अबतक पुलिस द्वारा गिरफ्तार ना किया जाना सरकारी सिस्टम और उससे जुड़ी कानूनी कार्यवाही की पोल खोल रहा है । राम राज्य के वादे के साथ प्रदेश की सत्ता में विराजमान होने वाली योगी सरकार भी आईपीएस पाटीदार के खिलाफ निलंबन के आदेश देने के बाद से तमाशबीन बनी हुई है। अपराध मुक्त वातावरण बनाने की घोषणा करने वाली बाबा की सरकार में महोबा जनपद के कबरई निवासी विस्फोटक व्यापारी इन्द्रकांत की मौत हो चुकी है जिसका आरोप एक सरकारी मुलाजिम के सर पर है। इन्द्रकांत की मौत पर अब तक काफी तथ्य आवाम के सामने आ चुके फिर चाहे वो वायरल वीडियो हों या फिर ऑडियो।
छोटे से छोटे अपराधी की धड़पकड़ के लिए चाचा चाची बुआ और ताऊ को घर से उठाकर ले जाने वाली पुलिस की कार्यप्रणाली इस पूरे प्रकरण में विपरीत दिशा में जाति साफ तौर पर नजर आ रही है ।भृष्टाचार और हत्या जैसे गंभीर आरोपो से घिरे पाटीदार को अब तक गिरफ्तार न किया जाना इससे जुड़े हुए एक उदाहरण स्वरूप लिया जा सकता है । एक तरफ विकास दुबे की गिरफ्तारी में नाकाम साबित हो चुकी खाकी उसके परिजनों पर कार्यवाही का हंटर चलाते हुए जेल भेज देती है तो वहीं सरकारी मुलाजिम को अभी तक पूंछतांछ तक के लिए नही बुलाया जाना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है ।
हाल ही में वायरल होने वाले एक वीडियो में दबंगई की पराकाष्ठा पार करते हुए देर रात एक व्यक्ति के निजि निवास पर खाकी द्वारा धावा बोलकर बाहुबल का कुशल प्रदर्शन करता ये वीडियो जनता के बीच खासी सुर्खियां बटोर रहा है । आम आदमी और विशेष सरकारी मुलाजिम के बीच शायद यही फर्क होता है जिसके चलते आम आदमी को पुलिसिया रौब झाड़कर कभी भी उठाया जा सकता है और विशेष आरोपी को पूंछतांछ के लिए बुलाने पर भी नोटिस भेजने की आवश्यकता पड़ सकती है । इस पूरे प्रकरण को लेकर अभी भी बहुत से सवाल निकल कर सामने आने की संभावना जताई जा रही है । भविष्य में देखने वाली बात ये मानी जा रही है की निलंबित आईपीएस पर कार्यवाही अगर सुनिश्चित होती है तो वो किस प्रकरण पर तय होगी क्योंकि इस कहानी के दो पहलू हैं एक तो इन्द्रकांत की मौत और दूसरा भृष्टाचार ।