कोरोना के बहाने प्रकृति ने दी ‘दूरियों’ की सज़ा, होली में गले नहीं मिलेंगे लोग!
- दूरियों ने दंगे और मौतें दीं,
अब जिंन्दा रहने के लिए इंसान इंसान से दूर रहे - अफसोस : होली और ईद पर भी दूरियां मिटाने के लिए हम गले नहीं मिल पायेंगे
- क़रीब रहने से बढ़ती हैं दूरियां अक्सर,
रहो क़रीब मगर फासला बनाये रहो
पत्रकार नावेद शिकोह कि कलम से
अफसोसनाक बात है- मिलने के सबसे खूबसूरत और कलरफुल बहाने होली में भी हम एक दूसरे से गले नहीं मिल पायेंगे। ये मौका भी इंसान से इंसान के बीच की दूरियां नहीं मिटा पायेगा। कोरोना का क़हर और ख़ौफ जारी रहा तो तकरीबन दो महीने बाद हम ईद पर भी गले नहीं मिल पायेंगे। पहले भी हम कई बार आपस में लड़े पर होली और ईद ने हमें गले मिलवाकर सारी गलतफहमियां भुलवा दीं।
दुनियां की बड़ी से बड़ी ताकतों से लेकर आम जनमानस को हिला कर रख देने वाले कोरोना वायरस से बचने के लिए आपस में फासला बनाने की हिदायतें दी जा रही हैं। चिकित्सकों की सलाह है कि एक दूसरे से हाथ नहीं मिलायें..गले भी नहीं मिलें।
ऐसी एहतियात के मद्देनजर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी होली ना खेलने और होली मिलन में ना शरीक होने का फैसला किया है।
ये फैसला आम जनता के लिए एक संदेश भी है। ताकि लोकप्रिय नेताओं के इस फैसले के देखदेखी आम जनता भी ऐसा करे। त्योहार की भीड़ भाड़, मिलन के कार्यक्रमों, रंग खेलने और गले मिलने इत्यादि से परहेज कर कोरोना के वायरस से बचा जा सके।
हांलाकि इस खतरनाक वायरस से पहले ही नफरती वायरस मानव जाति के लिए खतरा बना हुआ है। नफरत और अहंकार के शोलों से विश्व शांति पर ख़तरे मंडरा रहे हैं। इस बीच दुनिया के सामने अलग-अलग जातियों, मसलकों और मज़हबों के मिलजुल कर रहने की मिसाल क़ायम रखने वाले भारत में भी अब हिन्दू और मुसलमानों के बीच लकीरे खीचने वाले दिल्ली के दंगों ने सब को झंकझोर दिया । राजधानी दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगों ने हमारी गंगा जमुनी तहजीब को मृत्यु शैय्या पर ला दिया।
विश्व युद्ध और सिविल वॉर जैसे आसार पैदा करने वाला नफरत का एक वायरस इंसानों के बीच दूरियां पैदा कर ही रहा था कि एक और घातक वायरस सामने आ गया।
कोरोना नाम का ये नया और लाइलाज वायरस भी जिन्दगी, खुशहाली, सुकून और मोहब्बत का दुश्मन है। नफरती वायरस की तरह इसे भी मिलनसारी, प्यास-मोहब्बत, एकता और इंसान से इंसान की नजदीकी नापसंद है। इन चीजों से परहेज नहीं किया गया तो कोरोना वायरस रुद्र रूप लेकर पूरी दुनिया को श्मशान बना सकता है।
नफरती वायरस के बड़े भाई की तरह कोरोना वायरस दूसरी तरह से भारत सहित दुनिया भर में दूरियां पैदा करने का काम कर रहा है।
दूरियां कितनी घातक होती हैं, ये बात बार-बार साबित होती रही है। देश की राजधानी दिल्ली में दो मजहबों के मानने वालों के बीच गंदी सियासत की साजिश ने नफरत पैदा की। इस नफरत ने दंगों को अंजाम दिया। और दंगों ने मौत दी। यानी इंसानों के बीच दूरियां मौत देती हैं। दिल्ली का नरसंहार कुदरत को शायद नाराजं कर गया। दूरियां पैदा करके इंसानों का ख़ून बहाने वालों और खामोशी से इस नंगे नाच का तमाशा देखने वालों को शायद कुदरत ने सज़ा दी है।
दूरियां और मौत कितनी तकलीफदेह होती हैं अब हर किसी को इसका दंश भोगना पड़ेगा। दंगों और मौत को दावत देने के लिए दूरियां पैदा करने वालों को अब ज़िन्दा रहने के लिए इंसानों से दूरियां क़ायम रखने पर मजबूर रहना होगा।