गरीबी और असमानता पर दौलत राम कॉलेज में हुआ सेमिनार, सामने आए कई नए विचार
दिल्ली के दौलत राम कॉलेज द्वारा दिल्ली विश्वविदयालय के प्रांगण में वाणिज्य विभाग और अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त संरक्षण में ” तकनीकी युग में आय असमानता, संरक्षणवाद और अंतरराष्ट्रीय व्यापार : विशेष सन्दर्भ भारत ” विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया |
दिल्ली विश्वविदयालय के संगोष्ठी कक्ष में सबसे पहले दीप प्रज्जवलन किया गया और उद्घाटन सत्र के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की एडवाइजर डॉ.सुषमा अरोड़ा और संयोजक डॉ. रीटा रानी है। प्रो.संतोष कुमार मेहरोत्रा ने मुख्य अतिथि, डॉ.राम उपेन्द्र दास ने विशिष्ट अतिथि ,प्रो.यामिनी अग्रवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में इस सत्र में भूमिका निभाई।
इस दौरान प्रो. संतोष गरीबी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निःसंदेह आय की असामनता गरीबी को बढ़ावा देती है । ये असामनता बहुत बड़ी चुनौती है। इन्होंने असामनता के तीन खतरों के बारे में बताया | इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ.दास ने एक कहावत के द्वारा श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया उन्होंने कहा कि “किसी भी अर्थव्यवस्था में आयात और निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।” उन्होंने अपने वक्तव्य को जारी रखते हुए बताया कि यह जरूरी नहीं कि हर आयत की गई वस्तु जिसे हम मंगवाते है वह आवश्यक हो। इस दौरान प्रो.यामिनी ने कहा कि “संरक्षणवाद को सीमा नहीं लांघनी चाहिए” |
इसके बाद प्रो. विजया कट्टी, डॉ.अलका मौर्या और डॉ.नीति भसीन के स्वागत के साथ द्वितीय सत्र का आरम्भ हुआ। सभी वक्ताओं ने “लोकप्रिय राष्ट्रवाद का उदय और भारत में उसकी उपादेयता” से सम्बंधित विचारों से श्रोताओं को अवगत कराया। इस सत्र के बाद तकनीकी सत्र में 21 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए | जिसमें मुख्य अतिथि और निर्णायक मंडल के रूप में प्रो.चरण सिंह और डॉ.अनिंदिता राय साहा की विशिष्ट भूमिका रही। प्रतिभागियों ने बड़े रोचक
और जीवंत रूप में अपनी प्रस्तुति दी।
अन्तिम सत्र प्रमाण पत्र वितरण था | जहां मुख्य अतिथि प्रो.इंद्राणी गुप्ता थे। यह संगोष्ठी प्राचार्या डॉ. सविता राय के मार्गदर्शन एवम् डॉ. सुषमा अरोड़ा,डॉ. रीटा रानी के निर्देशन,टीचिंग कमेटी एवम् छात्र कार्यकारिणी के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित की गई।