पाकिस्तान का पूर्व सांसद.. हरियाणा में बेच रहा आइसक्रीम, पहलगाम हमले के बाद क्यों आया चर्चाओं में ?

फतेहाबाद (हरियाणा): पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की सरकार के दौरान सांसद रह चुके दिवाया राम इन दिनों हरियाणा के फतेहाबाद जिले में आइसक्रीम बेचकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। कभी पाकिस्तान की संसद में अल्पसंख्यकों की आवाज़ उठाने वाले दिवाया राम अब भारत को ही अपना स्थायी घर मान चुके हैं। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठाने को भी तैयार हैं।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार से तंग आकर छोड़ा पाकिस्तान
दिवाया राम 1989 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सांसद चुने गए थे। लेकिन वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और प्रशासनिक लापरवाही से वे इतने आहत हुए कि कुछ ही समय में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वे बताते हैं कि एक बार एक प्रभावशाली व्यक्ति ने एक हिंदू लड़की का अपहरण कर लिया और वे सांसद होते हुए भी कुछ नहीं कर पाए। यह घटना उनके आत्मसम्मान पर गहरी चोट थी और इसके बाद उन्होंने राजनीति छोड़ दी।
भारत आने का सफर और नागरिकता की लड़ाई
वर्ष 2000 में दिवाया राम अपने पूरे परिवार के साथ टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आए। शुरू में उन्हें सिर्फ एक महीने का वीजा मिला था, जिसे वे 2018 तक नियमित रूप से बढ़वाते रहे। वर्तमान में उनके परिवार में 30 सदस्य हैं, जिनमें से 6 लोगों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है। शेष सदस्यों ने आवेदन किया है और सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। आवेदनों की जांच चल रही है। नियम के तहत फिलहाल किसी को पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा।
फतेहाबाद पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ जैन ने पुष्टि की है कि जिले में पाकिस्तान से आए कुछ लोग रह रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद इन्हें भारत की नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया चल रही है।
रोजगार का साधन बना आइसक्रीम ठेला
भारत आने के बाद दिवाया राम का परिवार शुरू में रोहतक के मदीना गांव में रहा और फिर 2008 में रतिया के रतनगढ़ गांव में आकर बस गया। यहां उन्होंने अपनी बेटियों और बेटों की शादी करवाई और अब आइसक्रीम बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं।
दिवाया राम का कहना है कि वे भारत में अपने बाकी जीवन के दिन शांतिपूर्वक गुजारना चाहते हैं। लेकिन अगर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ, तो वे सबसे पहले हथियार उठाएंगे।
पाकिस्तान में अब भी है पुश्तैनी ज़मीन
दिवाया राम ने बताया कि उनके दादा की पाकिस्तान के बखर जिले की दरियापुर तहसील के पंचगिरेह क्षेत्र में अब भी 25 एकड़ जमीन है। हालांकि भारत में रहने के कारण अब उनका वहां लौटना संभव नहीं है। वर्तमान में उनके सभी दस्तावेज—जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि—भारत के बन चुके हैं।
चचेरे भाई का परिवार भी आ गया भारत
दिवाया राम के चचेरे भाई ओमप्रकाश भी 2006 में अपने पिता और भाइयों के साथ भारत आ गए थे। उनका परिवार भी रतिया में ही रह रहा है। ओमप्रकाश की शादी 2009 में फतेहाबाद के एक राजनीतिक परिवार में हुई। अब तक उनके परिवार के 6 सदस्यों को भी नागरिकता मिल चुकी है।
पीड़ा से संघर्ष तक का सफर
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न से तंग आकर भारत में शरण लेने वाले दिवाया राम का यह जीवन संघर्ष का उदाहरण है। एक समय संसद में बैठे इस नेता को आज आइसक्रीम बेचकर पेट पालना पड़ रहा है, लेकिन वे खुश हैं कि वे एक सुरक्षित और लोकतांत्रिक देश में जी रहे हैं। अब उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही पूरा परिवार भारतीय नागरिक कहलाएगा।