भाजपा नेता ने अपने ही डिप्टी CM को लपेटा, ‘केशव प्रसाद मौर्य’ के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर, बुरे फंसे..

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें फर्जी डिग्री लगाकर चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में अब 6 मई को सुनवाई होगी।

फर्जी डिग्री लगाकर पांच चुनाव लड़ने का आरोप

यह याचिका भाजपा नेता और RTI कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने दायर की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि केशव प्रसाद मौर्य ने बीते वर्षों में फर्जी डिग्री के आधार पर पांच अलग-अलग चुनाव लड़े। यही नहीं, केशव प्रसाद मौर्य ने कौशांबी जिले में फर्जी डिग्री के आधार पर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से पेट्रोल पंप भी हासिल किया।

पहले खारिज हुई थी याचिका

यह याचिका पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी, लेकिन दो साल पहले कोर्ट ने इसे निराधार बताकर खारिज कर दिया था। याचिका खारिज होने के बाद दिवाकर त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां से हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर दोबारा सुनवाई की सिफारिश की थी, जिसके बाद यह पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई और हाईकोर्ट ने इसे 25 अप्रैल को स्वीकार कर लिया।

हलफनामों में भिन्न-भिन्न जानकारी का दावा

दिवाकर त्रिपाठी का दावा है कि 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से नामांकन के समय डिप्टी सीएम ने हलफनामे में बीए की डिग्री का जिक्र किया, जो हिंदी साहित्य सम्मेलन से 1997 में प्राप्त बताई गई। जबकि 2007 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे में उन्होंने 1986 में प्रथमा, 1988 में मध्यमा और 1998 में उत्तमा की डिग्री का उल्लेख किया।

हिंदी साहित्य सम्मेलन को बीए की मान्यता नहीं है, और उत्तमा को कुछ राज्यों में ग्रेजुएट के समकक्ष माना जाता है, लेकिन इसे बीए नहीं कहा जा सकता। इसी को लेकर याचिकाकर्ता ने हलफनामे में जानकारी को भ्रामक और गलत बताया है।

डिग्री के वर्ष में भी अंतर पर सवाल

याचिका में यह भी सवाल उठाया गया है कि अगर डिप्टी सीएम उत्तमा को ही बीए मानते हैं, तो उसके पास करने का साल अलग-अलग क्यों है? 2007 के हलफनामे में यह डिग्री 1998 की बताई गई है, जबकि 2012 और 2014 के हलफनामों में यही डिग्री 1997 की लिखी गई है। इससे डिग्री की प्रामाणिकता पर संदेह और बढ़ गया है।

सरकारी संस्थाओं से शिकायत, पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत स्थानीय थाने, एसएसपी, यूपी सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्हें न्याय की उम्मीद में कोर्ट का रुख करना पड़ा।

6 मई को इस मामले की सुनवाई

केशव प्रसाद मौर्य पर लगे फर्जी डिग्री और हलफनामे में गलत जानकारी देने के आरोपों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। अब हाईकोर्ट में 6 मई को इस मामले की सुनवाई होगी, जिससे यह तय होगा कि आरोपों में कितना दम है और क्या डिप्टी सीएम को इस मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

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