मासूम से हैवानियत: पिटाई, थूक चटवाया, पेशाब किया ! समझौता करवाने में जुटी पुलिस

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले में एक निजी स्कूल में बेंच टूटने की मामूली घटना के बाद एक नाबालिग छात्र के साथ जो अत्याचार हुआ, उसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। पीड़ित किशोर को जबरन उठाकर ले जाया गया, बेरहमी से पीटा गया, थूक चटवाया गया, उसके चेहरे पर पेशाब किया गया और सिर मुंडवा दिया गया। इस पूरी घटना ने कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
आपसी विवाद में टूटी थी बेंच
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना तरयासुजन थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव स्थित एक निजी विद्यालय की है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को बच्चों के आपसी झगड़े के दौरान स्कूल की एक बेंच टूट गई थी। जिसके बाद मामला शांत हुआ और सभी छात्र स्कूल के बाद अपने घर चले गए।
लेकिन बेंच टूटने की घटना के बाद विद्यालय से जुड़े कुछ लोग पीड़ित किशोर के घर पहुंचे और उसे अपने तीन अन्य साथियों के साथ जबरन उठाकर ले गए। यह पूरी घटना परिवार के सामने हुई, लेकिन वे कुछ नहीं कर सके।
बेरहमी की हद: पिटाई, थूक चटवाया और पेशाब किया
पीड़ित किशोर ने बताया कि अपहरण करने वालों ने पहले उसे बेरहमी से पीटा। फिर उससे थूक चटवाया और उसके चेहरे पर पेशाब कर दिया। यही नहीं, इस बर्बरता की पराकाष्ठा करते हुए उसका सिर भी मुंडवा दिया गया। इस पूरी घटना से किशोर मानसिक रूप से बुरी तरह टूट गया है।
न्याय की गुहार, लेकिन पुलिस सुलह कराने में जुटी
घटना के तुरंत बाद किशोर के परिजनों ने थाने में तहरीर दी। लेकिन स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज करने की बजाय शुक्रवार को दोनों पक्षों को चौकी बुलाकर समझौता कराने की कोशिश शुरू कर दी। परिजन लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई से बचती नजर आ रही है।
थानाध्यक्ष बोले- मुझे जानकारी नहीं
जब इस मामले में तरयासुजन थानाध्यक्ष धनविर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। तहरीर या कोई वीडियो उनके पास नहीं आया है। यदि तहरीर थाने पर प्राप्त होती है तो उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन
इस घटना ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या एक टूटे हुए बेंच की कीमत एक किशोर की गरिमा और मानसिक स्थिति से बड़ी हो गई? क्या पुलिस सिर्फ सुलह कराने वाली संस्था बन चुकी है? ऐसे सवाल अब आम जनता के मन में उठ रहे हैं।
आरोपी खुले घूम रहे, पीड़ित परिवार न्याय की बाट जोह रहा
जब सरकारें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे नारे लगाती हैं, तो ऐसी घटनाएं उन नारों की हकीकत बयां कर देती हैं। कुशीनगर में हुई इस अमानवीय घटना ने न केवल बाल अधिकारों का हनन किया, बल्कि यह दिखाया कि यूपी में पुलिस की संवेदनशीलता किस स्तर पर है।