Mahakumbh 2025: जानें महत्व, समाप्ति तिथि और शाही स्नान की तिथियां
Mahakumbh , हिंदू धर्म में कुंभ मेला अत्यधिक पवित्र और धार्मिक महत्व रखता है। मान्यता है कि कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं
Mahakumbh , हिंदू धर्म में कुंभ मेला अत्यधिक पवित्र और धार्मिक महत्व रखता है। मान्यता है कि कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मेला हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक – पर बारह साल के अंतराल में आयोजित किया जाता है।
Mahakumbh 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है। इसे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव माना जाता है।
Mahakumbh 2025 की समाप्ति तिथि
Mahakumbh 2025 की शुरुआत 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति) से हो चुकी है। यह विशाल धार्मिक आयोजन 12 मार्च 2025 (महाशिवरात्रि) को समाप्त होगा। यह आयोजन 48 दिनों तक चलेगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु और संत पवित्र संगम में स्नान करेंगे।
शाही स्नान की तिथियां
Mahakumbh में शाही स्नान विशेष महत्व रखता है। इन तिथियों पर अखाड़ों के साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करते हैं। महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की प्रमुख तिथियां निम्नलिखित हैं:
- 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
- 29 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा
- 6 फरवरी 2025 – माघ अमावस्या (मुख्य शाही स्नान)
- 12 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
- 17 फरवरी 2025 – माघ पूर्णिमा
- 21 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)
Mahakumbh की धार्मिक परंपराएं
Mahakumbh में स्नान के अलावा, यज्ञ, साधना, भजन-कीर्तन और प्रवचन जैसी धार्मिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं। अखाड़ों के साधु-संत अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार भाग लेते हैं। यह आयोजन अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता है।
प्रशासन की तैयारी
Mahakumbh 2025 के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है। संगम क्षेत्र में तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जैसे कि अस्थायी पुल, शिविर, जलापूर्ति, स्वच्छता और चिकित्सा सेवाएं। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए हैं।
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Mahakumbh 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकता का प्रतीक है। श्रद्धालु इसे अपनी आस्था का पर्व मानते हैं और इसमें भाग लेकर स्वयं को धन्य महसूस करते हैं। अगर आप भी इस महायोजना का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इन महत्वपूर्ण तिथियों को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं और इस पवित्र अनुभव का लाभ उठाएं।