Bangladesh ने किया हिन्दू का समर्थन कहा – 1971 के इतिहास को दोहराने नहीं देंगे , आखिर क्या हुआ था 1971 में?
Bangladesh में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
Bangladesh में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अमेरिकी संसद (प्रतिनिधि सभा) में इस गंभीर मुद्दे को उठाया और बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए।
चटगांव की घटना से उपजा विवाद
25 अक्टूबर को चटगांव में एक घटना के बाद Bangladesh में अशांति और बढ़ गई। चिन्मय कृष्ण दास नामक व्यक्ति पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप लगाते हुए राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। इस घटना ने देश में पहले से ही मौजूद धार्मिक तनाव को और अधिक बढ़ा दिया।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय के बीच भय का माहौल पैदा हो गया है। स्थानीय हिंदू संगठनों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित हो सकता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने के लिए इसे जानबूझकर उछाला गया है।
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Bangladesh पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के जाने के बाद बिगड़े हालात
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने अपने बयान में कहा कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन हमलों के पीछे कट्टरपंथी संगठनों का हाथ हो सकता है, जो देश में अस्थिरता फैलाना चाहते हैं।
शेख हसीना के नेतृत्व में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती थी, लेकिन उनके पद छोड़ने के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
Bangladesh सांसद राजा कृष्णमूर्ति का बयान
राजा कृष्णमूर्ति ने अमेरिकी संसद में दिए अपने बयान में कहा कि, “बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध, ईसाई और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों पर बढ़ रहे हमले बेहद चिंताजनक हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बांग्लादेश में सभी धार्मिक समुदाय बिना किसी भय के अपने धर्म का पालन कर सकें।”
उन्होंने अमेरिकी सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की ताकि बांग्लादेश की सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बनाया जा सके।
अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता
Bangladesh में हिंदुओं सहित अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में लगातार बिगड़ती जा रही है। मंदिरों पर हमले, धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करना आम बात हो गई है।
राजनीतिक अस्थिरता और कट्टरपंथी संगठनों के बढ़ते प्रभाव के चलते देश में धार्मिक सहिष्णुता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
राजनीतिक अस्थिरता के बीच अल्पसंख्यक समुदाय पर बढ़ता खतरा
बांग्लादेश में आगामी चुनावों को लेकर भी राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है। इस अस्थिरता का सबसे बड़ा खामियाजा वहां के अल्पसंख्यक समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। कट्टरपंथी संगठनों द्वारा इन समुदायों को निशाना बनाना और उनकी संपत्ति पर कब्जा करने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
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अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय दबाव जरूरी
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
राजा कृष्णमूर्ति जैसे नेताओं द्वारा उठाए गए इस मुद्दे से उम्मीद की जा सकती है कि अमेरिकी सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन बांग्लादेश सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बनाएंगे।
बांग्लादेश में धार्मिक सद्भाव बनाए रखना वहां की सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि सभी नागरिक बिना किसी डर के अपनी आस्था और परंपराओं का पालन कर सकें।