सावरकर के साथ जो तब हुआ था, अब फ़ैज़ के साथ हो रहा है- संजय राउत
मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की रचना को लेकर देशभर में एक बवाल मचा हुआ है । इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत भी फ़ैज़ के समर्थन में सामने आए हैं । रविवार सुबह शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक स्पेशल कॉलम फैज को अर्पित किया गया है । इस कॉलम के ज़रिए बीजेपी पर निशाना साधा गया है ।
फ़ैज़ अहमद को लेकर संजय राउत ने सामना में लिखा है, ‘फैज अहमद पाकिस्तानी हुक्मरान के शत्रु सिद्ध हुए । अब हिंदुस्तान में बीजेपी ने उन्हें ‘हिंदूद्रोही’ ठहराया है । फैज ने जीते जी पाकिस्तानी हुक्मरान के सिंहासन को झकझोर दिया था । फांसी पर लटकते-लटकते वे बच गए । हिंदुस्तान में उनकी कविताओं को सूली पर चढ़ाने का धंधा चल रहा है । ‘हम देखेंगे’ ऐसे फैज फिर भी गरजते रहे ।’
शिवसेना के अनुसार, ‘कुछ’ लोगों ने फैज की कविता का अर्थ समझे बिना ही इस पर हिंदू विरोधी की मुहर लगा दी । उन्होंने लिखा कि उन्होंने हिंदुस्तान में इन दिनों फैज के साथ वहीं हो रहा है, जो अंग्रेज़ों के ज़माने में वीर सावरकर के साथ हुआ था ।
सामना के कॉलम में संजय राउत ने आगे लिखा है कि आज बीजेपी समर्थक फैज का विरोध कर रहे हैं, जबकि एक बार इन्हीं फैज से अटल बिहारी वाजपेयी की आंखें नम हो गई थी । उन्होंने लिखा, ‘ये किस्सा है 1977-78 का । देश में पहली बार जनता पार्टी की गैर कांग्रेसी सरकार आई थी । अटल बिहारी वाजपेयी उस सरकार में विदेश मंत्री थे । वे पाकिस्तान के अधिकृत दौरे पर गए थे । अटल जी को यहां किससे और कब मिलना है इसका पूरा कार्यक्रम तैयार था जिसका पालन वाजपेयी को भी करना चाहिए था । लेकिन वाजपेयी सुनने को तैयार ही नहीं थे । वाजपयी कुछ भी करके इस्लामाबाद मेंफैज से मिलना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान की सरकार और भारत दूतावास अनुमति नहीं दे रहा था । अंतत: प्रोटोकॉल के बंधन तोड़कर वाजपेयी फैज से मिलने उनके घर चले गए । वाजपयी व फैज की विचारधारा दो ध्रुवीय होने के बावजूद दोनों मिले और एक दूसरे के गले लगे ।इस मुलाक़ात में वाजपेयी ने फैज का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, ‘मैं सिर्फ एक शेर सुनने के लिए आपसे मिलना चाहता था ।’ फैज ने पूछा, ‘कौन-सा शेर?’ अटल ने वो शेर फैज को सुनाया ।’ अपना शेर अटल जी के मुंह से सुनते ही फैज भावुक हो गए । उन्होंने वो पूरी गजल अटल जी को सुनाई ।’