Akhilesh Yadav – “Democracy में मतदाता के अधिकार की हत्या, भाजपा सरकार की..”
Democracy को एक मज़बूत और स्थिर प्रणाली माना जाता है, जहां जनता को अपनी आवाज़ उठाने और अपने नेताओं को चुनने का अधिकार होता है। लेकिन हाल ही में जिस प्रकार से भाजपा सरकार द्वारा चुनाव आयोग के नियमों और तर्कों का हवाला देते हुए मतदाता के अधिकारों पर पाबंदी लगाने की कोशिश की जा रही है,
भारत में Democracy को एक मज़बूत और स्थिर प्रणाली माना जाता है, जहां जनता को अपनी आवाज़ उठाने और अपने नेताओं को चुनने का अधिकार होता है। लेकिन हाल ही में जिस प्रकार से भाजपा सरकार द्वारा चुनाव आयोग के नियमों और तर्कों का हवाला देते हुए मतदाता के अधिकारों पर पाबंदी लगाने की कोशिश की जा रही है, वह लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह उन नागरिकों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है जो लोकतंत्र में अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहते हैं और अपने मतों के माध्यम से सरकार के फैसलों का विरोध करना चाहते हैं।
मतदाता के अधिकारों पर हमला
Democracy का आधार उसकी नागरिकों की आवाज़ और मताधिकार में निहित है। जब एक नागरिक अपनी असहमति को व्यक्त करता है या किसी पार्टी या सरकार के खिलाफ अपनी राय रखता है, तो यह उसके मौलिक अधिकार का हिस्सा है। लेकिन अगर कोई सरकार चुनाव आयोग के जरिए ऐसे नियम लागू करने का प्रयास करती है, जो मतदाता के अधिकारों पर पाबंदी लगाए, तो यह साफ तौर पर जनतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि चुनावों में किसी भी प्रकार की हस्तक्षेप नहीं होनी चाहिए और मतदाताओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार मतदान करने का पूरा अधिकार होना चाहिए।
सूचना के अधिकार का खतरा
भारतीय Democracy में एक और महत्वपूर्ण अधिकार है ‘सूचना का अधिकार’ (RTI), जो नागरिकों को सरकार से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह अधिकार न केवल लोकतंत्र की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, बल्कि नागरिकों को सरकार की नीतियों और फैसलों पर निगरानी रखने की शक्ति भी प्रदान करता है। अगर सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से यह तर्क देती है कि मतदाता को अपनी आवाज़ उठाने से रोका जाए, तो क्या यह तर्क भविष्य में सूचना के अधिकार के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जाएगा? क्या भाजपा सरकार आने वाले समय में इस अधिकार को भी समाप्त कर देगी? यह सवाल अब हर भारतीय नागरिक के मन में उठ रहा है।
“आज का मतदाता कहे, नहीं चाहिए भाजपा”
जब एक सरकार नागरिकों के अधिकारों को हद से ज्यादा नियंत्रित करने की कोशिश करती है, तो नागरिकों का विरोध करना स्वाभाविक है। भारतीय लोकतंत्र में यह जरूरी है कि प्रत्येक मतदाता को अपनी पसंद और नापसंद के बारे में खुलकर बोलने का अधिकार हो। यदि कोई सरकार जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता की आवाज़ को दबाती है, तो यह देश के लोकतंत्र को कमजोर करता है। अब समय आ गया है जब भारतीय नागरिकों को यह स्पष्ट करना होगा कि वे किस प्रकार की सरकार को पसंद करते हैं। “आज का मतदाता कहे, नहीं चाहिए भाजपा!” यही वह आवाज़ है जो अब भारत के हर कोने से उठनी चाहिए।
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Democracy में सबसे बड़ी ताकत उसकी जनता की आवाज़ है। अगर उस आवाज़ को दबाने की कोशिश की जाए, तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा होगा। भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि मतदाता के अधिकारों की हत्या करना, जनतंत्र की हत्या करने जैसा है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और अगर सरकार इसे सही ठहराती है, तो यह भारत के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी राय रखने का अधिकार है, और सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए।