Bombay High Court ने ललित मोदी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया, बीसीसीआई के खिलाफ ‘निराधार याचिका’ पर निर्णय
Bombay High Court ने पूर्व क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है, साथ ही उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
Bombay High Court ने पूर्व क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है, साथ ही उनकी याचिका को खारिज कर दिया। ललित मोदी ने अपनी याचिका में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से यह आग्रह किया था कि वह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के कारण प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा लगाए गए ₹10.65 करोड़ के जुर्माने को अदा करे। कोर्ट ने इस याचिका को “निराधार और पूरी तरह से गलत” बताते हुए खारिज कर दिया।
कोर्ट का आदेश
बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायधीश एम एस सोनक और जितेंद्र जैन की डिवीजन बेंच ने बृहस्पतिवार को इस मामले पर आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ललित मोदी द्वारा दायर की गई याचिका को frivolous (निराधार) और पूरी तरह से गलत बताया गया। अदालत ने यह भी कहा कि FEMA के तहत जुर्माना ललित मोदी पर ही लगाया गया था, न कि बीसीसीआई पर, इसलिए बीसीसीआई से जुर्माना वसूलने का कोई आधार नहीं था।
ललित मोदी की याचिका का आधार
ललित मोदी ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि बीसीसीआई को FEMA उल्लंघन के कारण प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लगाए गए ₹10.65 करोड़ के जुर्माने का भुगतान करना चाहिए। उनका तर्क था कि बीसीसीआई को यह जुर्माना अदा करना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में बीसीसीआई का कोई दोष नहीं था और ललित मोदी ने यह याचिका पूरी तरह से बेबुनियाद तरीके से दायर की थी।
Bombay High Court ने जुर्माना क्यों लगाया?
Bombay High Court ने ललित मोदी पर ₹1 लाख का जुर्माना इसलिए लगाया, क्योंकि उन्होंने एक “निराधार याचिका” दायर की थी, जिसे अदालत ने पूरी तरह से गलत पाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिकाओं को दायर करने से कोर्ट की कीमती समय की बर्बादी होती है और यह एक दुरुपयोग है। कोर्ट ने जुर्माने के साथ यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की याचिकाओं को खारिज करने से पहले कोर्ट का समय और संसाधन बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं है।
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बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय ललित मोदी के लिए एक झटका था। कोर्ट ने न केवल उनकी याचिका को खारिज किया बल्कि उन पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला यह साबित करता है कि अदालतें निराधार याचिकाओं को गंभीरता से नहीं लेतीं और ऐसा करने वाले व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई कर सकती हैं। ललित मोदी और उनके वकील के लिए यह एक कड़ा संदेश है कि कोर्ट की प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाए।