Sansad शीतकालीन सत्र, दिन 18: समवर्ती चुनाव विधेयक का प्रस्ताव, राज्यसभा में संविधान पर बहस
Sansad लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के लिए तैयार है, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के समवर्ती चुनावों को लागू करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना है।
केंद्र सरकार 17 दिसंबर 2024 को Sansad लोकसभा में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के लिए तैयार है, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के समवर्ती चुनावों को लागू करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना है। इस विधेयक को “समवर्ती चुनाव विधेयक” के रूप में जाना जा सकता है, और यह भारत में चुनावों की प्रक्रिया को एकसाथ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम सरकार की लंबे समय से चली आ रही योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और कम खर्चीला बनाना है।
बीजेपी और उसके सहयोगियों द्वारा व्हिप जारी
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने Sansad लोकसभा में अपने सांसदों को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए एक तीन-पंक्ति व्हिप जारी किया है। व्हिप का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान पार्टी के सभी सदस्य उपस्थित रहें और इसके पक्ष में मतदान करें। सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक के खिलाफ विरोध की संभावना जताई जा रही है।
कांग्रेस का व्हिप और विपक्षी दलों की स्थिति
कांग्रेस पार्टी ने भी लोकसभा में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके सदस्य भी इस महत्वपूर्ण सत्र के दौरान उपस्थित रहें। कांग्रेस के नेताओं ने इस विधेयक को लेकर चिंता व्यक्त की है, और वे इसे संविधान में बदलाव के रूप में देख रहे हैं, जो राज्य सरकारों के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है। विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया में बदलाव करने की कोशिश कर रही है, जिसका उद्देश्य भविष्य में भाजपा के पक्ष में परिणाम प्राप्त करना हो सकता है।
Sansad राज्यसभा में संविधान पर बहस
वहीं, Sansad राज्यसभा में संविधान के महत्व और उसकी स्थिरता पर बहस जारी है। यह बहस देश के संविधान की रक्षा और इसके पालन की आवश्यकता पर केंद्रित है। इस चर्चा में विभिन्न दलों के नेता अपनी राय रख रहे हैं, और यह बहस संवैधानिक मुद्दों और शासन के न्यायसंगत और लोकतांत्रिक तरीके से संचालन पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
समवर्ती चुनावों के फायदे और विपक्षी चिंताएं
समवर्ती चुनावों की संभावना पर बहस जारी है, और सरकार इसे भारतीय चुनावी प्रणाली में सुधार के रूप में पेश कर रही है। इसका उद्देश्य चुनावी खर्च में कमी लाना और चुनावी प्रक्रिया को अधिक सुगम बनाना है। हालांकि, विपक्षी दल इस प्रस्ताव को संविधान में बदलाव के रूप में देख रहे हैं, जो राज्य सरकारों की स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है। वे इसे असंवैधानिक और अनावश्यक बदलाव मानते हैं।
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आज के संसदीय सत्र में समवर्ती चुनाव विधेयक की प्रस्तुति और Sansad राज्यसभा में संविधान पर बहस इस बात का संकेत है कि केंद्र सरकार चुनावी प्रणाली में बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके साथ ही, विपक्षी दल अपनी चिंताओं को व्यक्त कर रहे हैं, और यह स्पष्ट है कि इस विषय पर संसद में कड़ी बहस होने की संभावना है।